निजी अस्पतालों का एंबुलेंस चालकों से गठजोड़, मरीजों को बरगला कर अस्पताल पहुंचाने पर मिलता है कमीशन

punjabkesari.in Friday, Feb 11, 2022 - 06:21 PM (IST)

गोरखपुर: जिला अस्पताल के मरीजों को सेवा देने के लिए सरकारी एंबुलेंस से ज्यादा निजी एंबुलेंस के चालक तत्पर रहते है। कई बार इसका खामियाजा दूरदराज से आए मरीजों को भुगतना पड़ता है। गौरतलब है कि जिला अस्पताल के बाहर निजी एंबुलेंसों का कब्जा रहता है। स्थिति यह है कि ओपीडी से आपातकालीन परिसर तक इनकी नजर रहती है। जिला अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से चालक मरीजों एवं तीमारदारों को बहला-फुसलाकर निजी अस्पतालों में उपचार के लिए ले जाते हैं। इसे उन्हें खासा कमीशन मिल रहा है।

उधर, अस्पताल में हालांकि पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस मौजूद है। लेकिन निजी एंबुलेंस चालक उनकी चलने नहीं दे रहे। शहर से ग्रामीण क्षेत्रों से रोजना सैकड़ों मरीज उपचार के लिए जिला अस्पताल आते हैं। ऐसे में जहां निजी एंबुलेंस चालक मरीजों और तीमारदारों को बेहतर इलाज के लिए निजी अस्पतालों में ले जाते हैं तो वहीं डॉक्टरों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को भी कमीशन का लालच देकर रेफर कराते हैं।

इस दौरान एंबुलेंस चालकों को अस्पताल संचालक अच्छा खासा कमीशन देते हैं। कुछ ऐसा ही मामला जिला महिला अस्पताल का भी है। यहां बृहस्पतिवार को नंदा नगर से आए मरीज के परिजनों को भ्रम में डालकर निजी एम्बुलेंस चालाक ने निजी अस्पताल में भर्ती कराने के नाम पर मरीज को एम्बुलेंस में बैठाया। इस बीच जिला अस्पताल के वार्ड बॉय शमशाद अली ने खुद स्ट्रक्चर से उतार कर मरीज को एंबुलेंस में शिफ्ट कराया। जिसकी फोटो कैमरे में कैद हो गई। मौके पर मरीज के परिजन दीपक ने बताया की यहां के डॉक्टर ने निजी अस्पताल में ले जाने के लिए बोला है।

मामले की पड़ताल के लिए जब जिला अस्पताल की इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर कामना से पूछा गया तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ बोलने से मना करते हुए बताया की मरीज बेहोश था इसलिए मेडिकल कॉलेज जाने की सलाह दी गई है। उसके लंग्स में पानी भरा हुआ था। मौके पर फार्मासिस्ट अजय कुमार सिंह मौजूद थे।


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Mamta Yadav

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