निकाय अध्यक्षों का आरक्षणः कहीं खुशी-कहीं गम, सभी राजनीतिक दलों ने दावेदारों को लेकर शुरू किया मंथन
punjabkesari.in Tuesday, Dec 06, 2022 - 08:05 PM (IST)

लखनऊः उत्तर प्रदेश के 17 नगर निगमों के महापौर, 199 नगर पालिका व 544 नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के आरक्षण की अनन्तिम सूची सार्वजनिक होने के बाद कई दावेदारों की बांछे खिल गई तो आरक्षण की सूची देखने के बाद कई के चेहरे मुरझा गए। आरक्षण की सूची जारी होने के बाद राजनीतिक दलों ने भी दावेदारों को लेकर मंथन शुरू कर दिया है। 9 दिन बाद आरक्षण की अंतिम सूची जारी होगी और उसके बाद ही निर्वाचन आयोग चुनाव घोषणा करेगा।
दावेदारों को लेकर मंथन शुरू
दावेदारों को लेकर भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस व अन्य छोटे राजनीतिक दलों की जिला स्तरीय इकाईयों की बैठकें शुरू हो गई हैं। लखनऊ नगर निगम में महापौर के लिए महिला दावेदार को झटका लगा है, यह सीट अनारक्षित हो जाने के बाद यहां से भाजपा के पुरुष दावेदारों के नामों पर चर्चा होने लगी है। चर्चा तो यहां तक कि किसी ब्राह्मण नेता को यहां से चुनाव लड़ाया जा सकता है। इसी तरह अन्य शहरों के महापौर पदों के लिए जहां अनारक्षित और आरक्षित सीटें हुई हैं, उसी के मुताबिक दावेदारों के नामों की चर्चा होने लगी है। पिछले कई चुनावों से महापौर पद पर भाजपा का ही बोलबाला रहा है। साल 2017 के निकाय चुनाव में भाजपा के महापौरों की ही बहुतायत थी। उसके बाद बसपा और सपा के मेयर थे। जबकि समाजवादी पार्टी दावा कर रही थी कि नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष पदों पर उसके प्रत्याशी जीते थे। साल 2017 के बाद मौजूदा चुनाव होने से पहले कई नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों का पूरा स्वरूप ही बदल गया है।
कई जिलों के विस्तार को मिल चुकी है मंजूरी
राज्य मंत्रिमंडल ने सितंबर में मुजफ्फरनगर, गोंडा, बागपत, अयोध्या, हरदोई और अन्य जिलों में स्थानीय निकायों की नगरपालिका सीमा के विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और 107 नई नगर पंचायतें बनाई जा चुकी हैं। ऐसी स्थिति में इस बार भाजपा ने महापौर के साथ अधिक से अधिक नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष जिताने की रणनीति तैयार की है।