अजित सिंह के बिना पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेगी रालोद, जयंत चौधरी के लिए अग्निपरीक्षा!

punjabkesari.in Wednesday, Mar 20, 2024 - 06:56 PM (IST)

लखनऊ: रालोद ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़कर एनडीए में शामिल होकर न केवल अखिलेश यादव को बड़ा झटका दिया बल्कि इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी। भाजपा ने 2019 के सपा-बसपा और रालोद गठजोड़ की मजबूती का संज्ञान लेते हुए अब पश्चिम में रालोद का साथ लेकर उ.प्र. में मिशन 80 को अंजाम तक पहुंचाने की फिराक में है। दूसरी तरफ 2024 का चुनाव जयंत चौधरी के लिए भी अग्निपरीक्षा है, क्योंकि रालोद पहली बार अजित सिंह के बिना लोकसभा चुनाव लड़ेगी।

जाट बहुल सीटों का जातीय समीकरण
पश्चिम उ.प्र. में जाट, मुस्लिम व दलित मतदाताओं की बाहुलता वाली करीब 26 सीटें है। जातीय समीकरण देखे तो मुस्लिम मतदाता की संख्या 36 प्रतिशत है, 17 प्रतिशत जाट मतदाता हैं, 26 प्रतिशत मतदाता दलित समुदाय से हैं। प्रदेश भर के जाट मतदाताओं की बात करें तो 80 प्रतिशत जाट मतदाता पश्चिम उम्र. में है जो कि लगभग दो दर्जन सीटों पर अपनी अहमियत रखते हैं। । यही वजह है कि भाजपा ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर न केवल जयंत चौधरी का दिल जीत लिया, बल्कि पश्चिम उम्र में अपनी चिंता दूर करने में सफल होती नजर आ रही है।

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इन सीटों पर फिर से अपना कब्जा जमाना चाहेगी भाजपा
2019 के लोकसभा चुनाव देखे तो रालोद के सहयोग से सपा-बसपा गठबंधन ने भाजपा से छीनकर सात सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें सपा ने रामपुर, मुरादाबाद, संभल सीट जीती थी और बसपा को सहारनपुर, बिजनौर, नगीना और अमरोहा कुल चार सीटें मिली थी। रालोद को अपने में लाकर भाजपा इन सीटों पर फिर से अपना कब्जा जमाना चाहेगी।

80 सीटों पर जीत में कोई संदेह नहीं है: दुबे
रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे का कहना है कि किसान, किसान होता है जाति कोई भी हो, देश भर का किसान चौधरी चरण सिंह को मसीहा मानता है, इसलिए दो राय नहीं है कि रालोद के साथ आ जाने से देश भर के किसान भाजपा प्रत्याशी को वोट देंगे। पश्चिम उम्र में जयंत चौधरी ने घर-घर पहुंच कर लोगों की समस्याएं सुनी हैं और उन्हें हैं र खत्म भी किया है। इसलिए पार्टी को मिली बिजनौर व बागपत सीट पर रालोद की जीत होने के साथ ही पूरे पश्चिम उम्र में इंडिया गठबंधन का सफाया होने वाला है। व्यापारी प्रकोष्ठ के रोहित अग्रवाल ने कहा कि सपा के अखिलेश यादव, कांग्रेस की सोनिया गांधी व राहुल गांधी द्वारा चुनाव मैदान छोड़ने से प्रतीत होता है कि भाजपा की 80 सीटों पर जीत में कोई संदेह नहीं है, इसमें रालोद की अहम भूमिका है।


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Content Writer

Ajay kumar

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