सनातन में ऐसी आस्था और विश्वास! नेपाल से 500 KM महाकुंभ की उल्टे मुंह पैदल यात्रा पर निकले रूपनदास
punjabkesari.in Tuesday, Feb 11, 2025 - 01:47 AM (IST)
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Sultanpur News: नेपाल के एक दंपत्ति जनकल्याण एवं सनातन धर्म पताका के लहराने की कामना के साथ नेपाल से प्रयागराज संगम तक 500 किमी. उल्टे मुंह पैदल यात्रा पर निकल पड़े है। पड़ोसी देश नेपाल देश के बाँके जिला के कोहलपुर नगर पालिका वार्ड नंबर सात लखनपुर निवासी रूपन दास (54) एवं उनकी धर्मपत्नी पतिरानी (58) अपने गाँव स्थित हनुमान मन्दिर से पूजा पाठ करने के बाद पैदल ही प्रयागराज महाकुम्भ स्नान दर्शन के लिए निकल पड़े।
कठिन यात्रा में पतिरानी अपने पति का पूरा साथ निभा रही
बता दें कि सिर और कांधे पर झोला और हाथों में सनातनी ध्वज थामे यह जोड़ा अपनी धुन में मगन कुशनगरी सुलतानपुर से प्रयागराज की ओर हाइवे पर लगी वाहनों की कतार के बीच से अपना रास्ता बनाता गंतव्य की ओर गुजरता नजर आया, जिसकी भी निगाहें पड़ीं वो ही इस आस्था के आगे हो गया श्रद्धावनत। मूलतः नेपाल में बांके जिला अंतर्गत कोल्हनपुर नगर के लखनपुर मुहल्ला निवासी रूपनदास सहधर्मिणी पतिरानी तेरह दिन पूर्व घर के बगल स्थित हनुमान मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद बजरंगबली की प्रेरणा से 144 वर्ष बाद लगे महाकुंभ में स्नान-ध्यान-दान के लिए पदयात्रा पर उल्टे पांव चलते हुए निकल पड़े। इस कठिन यात्रा में पतिरानी अपने पति का पूरा साथ निभा रही हैं। सबसे पहले इस दंपती ने नेपाल से गोरखपुर और फिर अयोध्या धाम पहुंचकर दर्शन-पूजन किया, फिर तेरहवें दिन निकल पड़े प्रयागराज की ओर।
यह यात्रा जनकल्याण एवं सनातन धर्म पताका लहराती रहे...रूपनदास
दोपहर में महाराज कुश की नगरी सुलतानपुर में उन्हें अखिल भारत विश्व हिंदू महासंघ के जिलाध्यक्ष कुंवर दिनकर प्रताप सिंह ने प्रयागराज मार्ग पर पयागीपुर चौराहे के पास देखा। जब तक वाहनों के काफिले को पार करते वे उन तक पहुंचते, तब तक उल्टे पांव लक्ष्य की ओर तेज कदम आगे बढ़ते ये दंपति और भी आगे बढ़ चुके थे, तब दिनकर अपने साथियों अंशू श्रीवास्तव व अरुण कुमार मिश्र के साथ प्रयागराज रोड पर उन्हे ढूंढ़ते हुए आगे निकले तो प्रतापगंज बाजार से पहले ये दंपति उन्हें रोककर कुछ खान-पान की व्यवस्था की, परंतु कुछ भी खाने-पीने से मना कर दिया इन तपस्वी यात्रियों ने। अति निवेदन के बाद केवल गन्ने का जूस और थोड़ा सा गुड़ लिया। रूपनदास ने कहा, “यह यात्रा जनकल्याण एवं सनातन धर्म पताका लहराती रहे, इसी के निमित्त है। पैदल उल्टे पांव चलकर नेपाल से प्रयागराज जा रहा हूं”।