हाईकोर्ट का अहम फैसला, कहा- जांच के अभाव में बरी होने पर वेतन कटौती अनुचित

punjabkesari.in Sunday, Mar 31, 2024 - 02:17 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वेतन कटौती से संबंधित एक मामले में माना कि हिरासत की अवधि के दौरान निलंबित किए गए किसी कर्मचारी को किसी भी अनुशासनात्मक जांच और जमानत के अभाव में बरी होने पर वेतन से वंचित नहीं किया जा सकता है। अगर कर्मचारी को उसकी हिरासत के कारण साधारण रूप से निलंबित किया गया है और निलंबन के दौरान उसके खिलाफ कोई विभागीय अनुशासनात्मक जांच नहीं की गई है, तो उसे यह सिद्ध करने के लिए न कोई प्रमाण पत्र देने की आवश्यकता नहीं है कि वह इस अवधि के दौरान किसी लाभकारी पद पर कार्यरत था। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने अनिल कुमार सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए विपक्षी को याची की हिरासत अवधि के दौरान बकाया वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया।

PunjabKesari

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याची के पक्ष में दिया निर्देश
याची गवर्नमेंट गर्ल्स इंटर कॉलेज, फतेहपुर में रूटीन ग्रेड क्लर्क के रूप में नियुक्त था। विभाग के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची द्वारा कर्तव्य का निर्वहन न करने के लिए विभाग को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि वह हिरासत में था। याची हिरासत में था, इसलिए उसे निलंबित किया गया चूंकि याची को बरी नहीं किया गया, इसलिए वह निलंबन अवधि के दौरान वेतन पाने का हकदार नहीं था।

PunjabKesari

हिरासत अवधि के दौरान बकाया वेतन देने के दिए आदेश
 हालांकि याची के अधिवक्ता ने उक्त तर्क का खंडन करते हुए कहा कि याची के खिलाफ कोई विभागीय जांच नहीं की गई थी। उसे केवल हिरासत के आधार पर निलंबित कर दिया गया और निलंबन आदेश रद्द होने पर याची निलंबन अवधि का वेतन पाने का हकदार है। याची रूटीन ग्रेड क्लर्क के रूप में एक आपराधिक मामले में आरोपी बनाया गया। 9 अगस्त 2009 से 1 अगस्त 2010 तक वह जेल में रहा। उसके बाद वर्ष 2016 तक वह हिरासत में रहा। हिरासत की अवधि के दौरान याची को निलंबित कर दिया गया और आपराधिक मामले में बरी होने के बाद उसे बहाल कर दिया गया।

 

 

 

 

 

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ajay kumar

Recommended News

Related News

static