हाईकोर्ट की चेतावनीः कानून का उल्लंघन करने पर लोक सेवकों के खिलाफ होगी कार्रवाई

punjabkesari.in Tuesday, Apr 16, 2024 - 10:51 PM (IST)

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट  ने जिला मजिस्ट्रेट और उनके अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 की धारा 3 के तहत मनमाने ढंग से नोटिस जारी करने पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि इस न्यायालय के पूर्व आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने अधिनियम की प्रयोज्यता के संबंध में जिला मजिस्ट्रेट को कोई दिशा-निर्देश जारी करने की जरूरत नहीं समझी, जिसके कारण जिला मजिस्ट्रेट और उनके अधीनस्थ लगातार अधिनियम की धारा 3 के तहत अवैध रूप से नोटिस जारी कर रहे हैं। कोर्ट ने सचिव (गृह) विभाग  उत्तर प्रदेश लखनऊ को निर्देश देते हुए कहा कि राज्य की शक्तियों का प्रयोग करने वाले लोक सेवक कानून की सीमा के भीतर रहें अन्यथा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। 

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मनमाने ढंग से नोटिस जारी करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई 
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह (प्रथम) की खंडपीठ ने उक्त तल्ख टिप्पणी के साथ आक्षेपित कारण बताओ नोटिस रद करते हुए राज्य को 2 महीने के भीतर याची उमर उर्फ मोहम्मद उमैर को एक  लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। वर्तमान मामले में अपर जिला मजिस्ट्रेट (प्रशासन), मुरादाबाद ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग दुरुपयोग करते हुए याची को 6 मार्च 2024 को थाना मैनाठेर मुरादाबाद में दर्ज आईपीसी की धारा 376 के तहत मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसे वर्तमान याचिका में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने पाया कि अधिनियम, 1970 के प्रावधानों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग करते हुए उक्त नोटिस जारी की गई है। कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि एक या दो छोटे और महत्वहीन अपराधों से व्यक्ति को 'गुंडा' करार नहीं दिया जा सकता है। यह विशेषण अपने आप में बदनामी का बोझ लेकर आता है।


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Content Writer

Ajay kumar

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