अतीक अहमद की जमीन बता वकील और प्रोफेसर के घर गिराए, SC ने UP सरकार को गलत बुलडोजर कार्रवाई पर लगाई फटकार

punjabkesari.in Thursday, Mar 06, 2025 - 10:49 AM (IST)

Lucknow News: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक बार फिर बुलडोजर कार्रवाई को लेकर कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने गलती से कुछ लोगों की संपत्तियों को गैंगस्टर अतीक अहमद की संपत्ति मान लिया। इसके बाद प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घरों को गिरा दिया गया।

क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो महिलाएं और एक अन्य व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इन सभी के घर एक ही प्लॉट पर स्थित थे। मार्च 2021 में इन्हें नोटिस प्राप्त हुआ था, और एक दिन बाद ही इनके घरों को गिरा दिया गया था। पीड़ितों का कहना है कि राज्य सरकार ने उनकी जमीन को गलती से अतीक अहमद की संपत्ति समझ लिया और बिना उचित प्रक्रिया के घरों को तोड़ दिया।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और टिप्पणी
5 मार्च को इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि इस तरह की तोड़-फोड़ चौंकाने वाली है और इससे गलत संदेश जाता है। कोर्ट ने कहा कि इसमें सुधार की आवश्यकता है। राज्य सरकार की ओर से वकील ने तर्क दिया कि उनके पास याचिकाकर्ताओं की संपत्तियों को गिराने के लिए नोटिस देने का कारण था। इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत किसी भी व्यक्ति को कानून द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार ही उसके जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित किया जा सकता है।

AG की दलील और कोर्ट का फैसला
इस पर अटॉर्नी जनरल (AG) आर वेंकटरमणी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय दिया गया था। हालांकि, जस्टिस ओका इससे सहमत नहीं हुए और उन्होंने कहा कि मामला हाई कोर्ट में नहीं भेजा जा सकता। AG ने बताया कि नोटिस देने के समय पीड़ित व्यक्ति वहां मौजूद था या नहीं, इस पर विवाद था। इसके बाद बताया गया कि पीड़ितों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस कार्रवाई को चुनौती दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि जिन घरों को गिराया गया, उन्हें फिर से बनवाना होगा। बेंच ने यह भी कहा कि याचिकाएं अधिवक्ता रोहिणी दुआ के माध्यम से दायर की गई थीं। इस फैसले के बाद पीड़ितों को राहत मिली है और कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह की कार्रवाई को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के नहीं किया जा सकता।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Anil Kapoor

Related News

static