स्कॉलरशिप घोटाला : ग्रामीणों के नाम 3000 फर्जी खाते खोल किया 75 करोड़ का घोटाला , छापे में विदेशी मुद्रा बरामद

punjabkesari.in Saturday, Feb 18, 2023 - 12:57 PM (IST)

लखनऊ : प्रवर्तन निदेशालय ED ने अपनी जांच में पाया है कि उत्तर प्रदेश में कुछ शैक्षणिक संस्थानों ने आर्थिक रूप से कमजोर, अल्पसंख्यक वर्ग और दिव्यांग छात्रों के लिए आवंटित  75 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति राशि का कथित रूप से गबन किया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने 16 फरवरी को उत्तर प्रदेश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्ति धोखाधड़ी से हासिल करने से जुड़े मनी लॉन्डरिंग मामले में राज्य के छह जिलों के 22 स्थानों पर छापे मारे थे।

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State Vigilance के शिकायत पर कार्रवाई
आपको बता दें कि मनी लॉन्डरिंग का मामला राज्य सतर्कता ब्यूरो State Vigilance Bureau की 2017 की एक शिकायत से उपजा है। ED ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि उसकी जांच के घेरे में जो संस्थान हैं, उनमें SS Institute of Management मामपुर, लखनऊ, Hyjia College Of Pharmacy लखनऊ, Hyjia Institute of Pharmacy/Central Institute of Pharmacy लखनऊ, Lucknow Institute of Management and Education, लखनऊ और Dr. Om Prakash Gupta Institute of Management and Technology फर्रुखाबाद शामिल हैं। इसके साथ ही Dr. Bhim Rao Ambedkar Foundation and Jeevika College of Pharmacy, R P Inter College, Gyanvati Inter College और Jagdish Prasad Verma Higher Secondary School सभी हरदोई भी उन संस्थानों में शामिल हैं। जिनके खिलाफ धनशोधन रोकथाम अधिकनियम Prevention of Money Laundering Act के प्रावधानों के तहत जांच की जा रही है।

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गैरकानूनी रूप से लाभ उठाया
उसने कहा कि हाइजिया समूह के कॉलेजों का नियंत्रण और प्रबंधन आई एच जाफरी, ओ पी गुप्ता संस्थान का शिवम गुप्ता द्वारा, एस एस संस्थान का प्रवीण कुमार चौहान द्वारा और जीविका कॉलेज का राम गुप्ता द्वारा किया जाता है। ईडी ने आरोप लगाया कि इन संस्थानों ने कई अपात्र ineligible उम्मीदवारों के नाम पर  गैरकानूनी रूप से छात्रवृत्ति का लाभ उठाया और धन का गबन किया। ईडी ने कहा कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), शारीरिक रूप से अक्षम या दिव्यांग) उम्मीदवारों और अल्पसंख्यक समुदायों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों की शिक्षा की सुविधा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।

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ED ने लगाए गंभीर आरोप
जांच में ED ने कहा कि छात्रवृत्ति घोटाले का समाज के कमजोर वर्गों पर एक बड़ा सामाजिक प्रभाव है। ईडी ने कार्यप्रणाली के बारे में बताते हुए कहा कि घोटाला मोहम्मद साहिल अजीज, अमित कुमार मौर्य, तनवीर अहमद, जितेंद्र सिंह और रवि प्रकाश गुप्ता सहित फिनो पेमेंट्स बैंक के कई एजेंटों की सक्रिय सहायता से किया गया। एजेंसी ने कहा कि यह फिनो पेमेंट्स बैंक के प्लेटफॉर्म पर खाते खोलने के लिए प्रक्रिया में छूट का दुरुपयोग करके किया गया। ईडी ने आरोप लगाया है कि आरोपियों ने सभी बैंक खाते फिनो की लखनऊ और मुंबई शाखाओं में खोले थे। संस्थानों ने छात्रवृत्ति धन के इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण और नकद निकासी, दोनों में फिनो एजेंट की सेवाओं का लाभ उठाया। ईडी ने आरोप लगाया कि अपराध की आय को संस्थानों के मालिकों और उनसे संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों के नियंत्रण वाले विभिन्न बैंक खातों में भेजा गया। जांच में पाया गया कि अधिक छात्रवृत्ति राशि का लाभ उठाने के लिए, इन कॉलेजों और संस्थानों ने बच्चों (7-12 वर्ष की आयु में) और 45 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के बैंक खातों का उपयोग किया। ईडी ने कहा कि अब तक की गई जांच से पता चला है कि इन संस्थानों ने विभिन्न लोगों के दस्तावेजों का उपयोग करके लगभग 3,000 ऐसे खाते खोले। उसने कहा कि यह पाया गया कि अधिकांश खाते ग्रामीणों के नाम पर हैं। जिन्हें उनके बारे में पता भी नहीं है और उन्हें कभी कोई छात्रवृत्ति नहीं मिली है। हालांकि नियम यह है कि छात्रवृत्ति राशि छात्रों के बैंक खातों में जमा की जानी चाहिए, लेकिन संबंधित संस्थाओं ने नियमों को दरकिनार किया और फिनो पेमेंट्स बैंक के एजेंटों से खाता किट सीधे अपने नियंत्रण में ले लिया।

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सरकार को लगाया 75 करोड़ का चूना
ईडी ने दावा किया कि कुछ मामलों में, संस्थान और उनके कर्मचारी अवैध रूप से फिनो बैंक एजेंटों को जारी किए गए आईडी और पासवर्ड प्राप्त करने और उनका उपयोग करने में कामयाब रहे और संस्थान के परिसर में बैंक द्वारा जारी किए गए माइक्रो-एटीएम को संचालित करने में भी कामयाब रहे। इसमें कहा गया है कि छात्रवृत्ति राशि संस्थानों द्वारा छात्रों के खातों से नकद में निकाली गई। एजेंसी ने छापेमारी के दौरान 36.51 लाख रुपये और 956 अमेरिकी डॉलर नकद के अलावा बड़ी संख्या में सिम कार्ड, स्टैंप और विभिन्न संस्थाओं की मुहरें जब्त कीं। इसने कहा कि संस्थान प्रथम दृष्टया विभिन्न दस्तावेजों की जालसाजी और उन्हें गढ़ने में शामिल थे। ईडी ने कहा, छात्रवृत्ति घोटाले में (लगभग) 75 करोड़ रुपये से अधिक की अपराध की आय शामिल होने की आशंका है। 


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Content Editor

Prashant Tiwari

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