धर्म नहीं बना दीवार: खुदाई में मिले प्राचीन शिवलिंग पर मुस्लिम परिवार ने दिखाई आस्था, शिव मंदिर के लिए दान की जमीन
punjabkesari.in Tuesday, Jul 29, 2025 - 07:02 AM (IST)

Chandauli News: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के अलीनगर थाना क्षेत्र के धपरी गांव में हिंदू-मुस्लिम एकता की एक शानदार मिसाल सामने आई है। जहां गांव के एक मुस्लिम परिवार ने आपसी भाईचारे की भावना दिखाते हुए अपनी एक बिस्वा (लगभग 1364 वर्ग फीट) जमीन गांव को शिव मंदिर बनाने के लिए दान कर दिया।
खुदाई में निकला प्राचीन शिवलिंग, गांव में मचा हड़कंप
मिली जानकारी के मुताबिक, यह घटना तब सामने आई जब धपरी गांव में अख्तर अंसारी नामक व्यक्ति अपने प्लॉट पर बाउंड्री वॉल की खुदाई करवा रहे थे। खुदाई के दौरान जमीन के अंदर से एक प्राचीन शिवलिंग निकला। जैसे ही यह खबर फैली, बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर इकट्ठा हो गए। शिवलिंग की जानकारी मिलते ही प्रशासन की टीम भी मौके पर पहुंच गई। शिवलिंग को फिलहाल पास के मंदिर में अस्थाई रूप से रखवाया गया है। लेकिन गांववालों की मांग है कि जहां शिवलिंग मिला है, वहीं एक भव्य शिव मंदिर बनाया जाए।
सकलैन हैदर ने मंदिर निर्माण के लिए दी जमीन
इस मांग का समर्थन करते हुए सकलैन हैदर नामक व्यक्ति ने, जिनका यह प्लॉट था और जिन्होंने इसे अपने रिश्तेदार अख्तर अंसारी को रजिस्ट्री के जरिए दिया था, एक बिस्वा जमीन मंदिर निर्माण के लिए दान कर दी। सकलैन हैदर ने कहा कि वे इस गांव में बरसों से रह रहे हैं और सभी समुदायों के त्योहार मिलजुलकर मनाते हैं। यह फैसला उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी प्रेम की भावना से लिया है।
महिलाओं ने किया पुनः स्थापित, श्रद्धालुओं की लगी भीड़
सावन के तीसरे सोमवार को गांव की महिलाओं ने उस स्थान पर शिवलिंग को फिर से स्थापित कर दिया जहां वह मिला था। अब वहां पूजा-पाठ, जलाभिषेक और भजन-कीर्तन का आयोजन हो रहा है। हजारों श्रद्धालु आस-पास के गांवों से पूजा के लिए आ रहे हैं। बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के लिए फोर्स की तैनाती कर दी है और अधिकारी लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
नेताओं ने की सराहना, गांव बना सौहार्द का प्रतीक
स्थानीय विधायक नीरज त्रिपाठी और अन्य नेताओं ने सकलैन हैदर के इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह त्याग और भाईचारे की अद्भुत मिसाल है। गांव के लोग भी इस निर्णय से बेहद खुश हैं और इसे हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक मान रहे हैं। सकलैन हैदर और उनके परिवार का यह नेक फैसला ना सिर्फ चंदौली बल्कि पूरे प्रदेश में धार्मिक सौहार्द और मेलजोल का बेहतरीन उदाहरण बन गया है।