24 का चक्रव्यूहः सपा ने गैर यादव OBC समुदाय को साधने के लिए बिछाई बिसात, क्या BJP पर पड़ेगा भारी?

punjabkesari.in Thursday, Apr 25, 2024 - 07:27 PM (IST)

कानपुर: समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ प्रदेश में 62 सीटों पर प्रत्याशी उतारने में फोकस तो पीडीए खा है, लेकिन पुराने मुस्लिम और यादव की पर रखा छाप वाले दाग को धोने की कोशिश की भी है। पार्टी ने जहां कई मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर ध्रुवीकरण की आशंका से बचन के लिए मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, वहीं बड़ी सावधानी के साथ भाजपा के पिछड़ा वर्ग वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए गैर यादव ओबीसी समुदाय को साधने के लिए बिसात भी बिछाई है। प्रदेश में सपा ने 17 सीटें कांग्रेस तो एक टीएमसी के लिए छोड़ी है।

15 गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदायों से
प्रदेश में सपा ने अब तक जिन 58 उम्मीदवारों की घोषणा की है। उनमें से 15 गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदायों से हैं। हालांकि इनमें से अधिकतर कभी न कभी बसपा के दिग्गज नेताओं में गिने जाते थे। इनमें सबसे बड़ा चेहरा बाबू सिंह कुशवाहा का है। सपा ने इन्हें जौनपुर लोकसभा सीट से उतारा है। बाबू सिंह कुशवाहा प्रदेश में मायावती की सरकार में दिग्गज कैबिनेट मंत्री थे। ओबीसी समुदाय से आने वाले कुशवाहा बसपा से निकाले जाने पर भाजपा में शामिल हो गए लेकिन उन्हें वहां भी पार्टी से निकाल दिया गया। 2016 में उन्होंने जन अधिकार पार्टी बनाई थी। अब वह सपा के साथ गठबंधन में साइकिल चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस कड़ी में दूसरा बड़ा नाम लाल जी वर्मा का है, जिन्हें सपा ने अंबेडकर नगर से टिकट दिया है। वह भी बसपा के बड़े नेताओं में गिने जाते थे लेकिन 2021 में पार्टी से निष्कासित कर दिए गए थे। कुर्मी ओबीसी समुदाय से आने वाले लालजी वर्मा इसके बाद सपा में शामिल हो गए थे। 2022 में वह कटेहरी विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीते थे।



मोहनलालगंज से चुनाव मैदान में हैं आरके चौधरी 
इसी तरह आरके चौधरी सपा के टिकट पर मोहनलालगंज से चुनाव मैदान में हैं। वह बसपा के संस्थापकों में में रहे हैं और कांशीराम के विश्वासपात्र थे। 1993 से 1995 तक वह मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सपा-बसपा सरकार में मंत्री थे। पासी समुदाय से आने वाले चौधरी ने 2001 में बसपा छोड़कर राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी बनाई थी। 2014 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर मोहनलालगंज से लड़ा लेकिन भाजपा के कौशल किशोर से हार गए थे। इसके बाद आरके चौधरी सपा में शामिल हो गए थे। 

राम शिरोमणि वर्मा को सपा ने श्रावस्ती से दिया टिकट
कुर्मी समुदाय से आने वाले राम शिरोमणि वर्मा को सपा ने श्रावस्ती से टिकट दिया है। वह यहां से मौजूदा सांसद हैं और हाल ही में सपा में शामिल हुए हैं। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में राम शिरोमणि वर्मा ने बसपा उम्मीदवार के रूप में यह सीट जीती थी। बसपा के ही नेता राजा राम पाल अकबरपुर से चुनाव मैदान में हैं। राजा राम 2004 में विहौर से बसपा सांसद चुने गए लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पाल (ओबीसी) समुदाय से आने वाले राजा राम ने 2009 का लोकसभा चुनाव अकबरपुर से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीता था। लेकिन 2014 और 2019 में हारने के बाद सपा में शामिल हो गए थे। 

बस्ती से चुनाव मैदान में हैं विधायक राम प्रसाद चौधरी 
कप्तानगंज से पांच बार के विधायक राम प्रसाद चौधरी बस्ती से चुनाव मैदान में हैं। वह कुर्मी समुदाय से हैं और 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर हार गए थे। कुर्मी समाज के ही राम शिरोमणि वर्मा को सपा ने श्रावस्ती से टिकट दिया है। वह भी मौजूदा सांसद हैं और हाल ही में सपा में शामिल हुए हैं। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में राम शिरोमणि वर्मा बसपा के टिकट पर जीते थे। नीरज मौर्य सपा के टिकट पर नीरज आंवला लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। वह जलालाबाद से दो बार के विधायक रह चुके हैं। बसपा और भाजपा में होते हुए सपा में आए हैं। शंकर राजभर सपा से सलेमपुर में चुनाव लड़ रहे हैं। 2009 में बसपा से सांसद चुने गए थे।


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Ajay kumar

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