Gyanvapi Masjid: ‘शिवलिंग' की कॉर्बन डेटिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, हिंदू पक्ष को नोटिस जारी

punjabkesari.in Friday, May 19, 2023 - 01:20 PM (IST)

वाराणसी / नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद  ( Gyanvapi Masjid)  में मिले ‘शिवलिंग' की उम्र का पता लगाने के लिए कॉर्बन डेटिंग समेत विभिन्न वैज्ञानिक सर्वेक्षणों को फिलहाल स्थगित कर दिया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 मई को आधुनिक तकनीक का उपयोग करके संरचना की आयु का निर्धारण करने का आदेश दिया था। संचरना के ‘शिवलिंग' होने का दावा किया गया है। हालांकि, मस्जिद के अधिकारियों ने कहा है कि संरचना ‘वजू खाना' में एक फव्वारे का हिस्सा है, जहां नमाज से पहले हाथ, पैर और मुंह धोते हैं। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने ‘शिवलिंग' के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन डेटिंग के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका पर केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किये।
 

‘शिवलिंग' के प्रस्तावित वैज्ञानिक सर्वेक्षण की जांच स्थगित
पीठ ने कहा, “चूंकि विवादित आदेश के निहितार्थों की बारीकी से जांच की जानी चाहिए, इसलिए आदेश में संबंधित निर्देशों का कार्यान्वयन अगली तारीख तक स्थगित रहेगा।” पीठ में न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन भी शामिल थे। शीर्ष अदालत संरचना की उम्र निर्धारित करने के लिए कार्बन डेटिंग सहित “वैज्ञानिक सर्वेक्षण” करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। ‘शिवलिंग' के प्रस्तावित वैज्ञानिक सर्वेक्षण को फिलहाल स्थगित करने की दलील पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों ने सहमति व्यक्त की है। 


उच्च न्यायालय ने वाराणसी जिला अदालत  के फैसले को कर चुका है रद्द
 बता दें कि “इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील लंबित है।” इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 मई को, अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर, ज्ञानवापी मस्जिद में मिली उस संरचना की उम्र निर्धारित करने का आदेश दिया था, जिसके ‘शिवलिंग' होने का दावा किया जा रहा है। उच्च न्यायालय ने वाराणसी जिला अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसके तहत मई 2022 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किए गए सर्वे के दौरान मिली संरचना की ‘कार्बन डेटिंग' सहित अन्य वैज्ञानिक परीक्षण कराने की अपील वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।

उच्च न्यायालय के आदेश के बाद वाराणसी की एक स्थानीय अदालत 16 मई को, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे कराने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई को राजी हो गई थी। हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की याचिका को स्वीकार करते हुए जिला अदालत के न्यायाधीश ए के विश्वेष ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति से 19 मई तक इस पर जवाब दाखिल करने को कहा था। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 मई की तारीख तय की थी। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने 12 मई को वाराणसी के जिला जज को ‘शिवलिंग' का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने के हिंदू पक्ष के अनुरोध पर कानून के अनुसार आगे बढ़ने का निर्देश दिया था।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि वैज्ञानिक सर्वे की प्रक्रिया में उस संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए, जिसके बारे में हिंदुओं का दावा है कि वह एक ‘शिवलिंग' है। हालांकि, मस्जिद समिति का कहना है कि यह ‘वजू खाना' के फव्वारे का हिस्सा है, जहां नमाज अदा करने से पहले लोग हाथ, पैर और मुंह धोते हैं। उच्च न्यायालय ने वाराणसी की अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली लक्ष्मी देवी सहित तीन अन्य लोगों की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया था। संरचना की आयु निर्धारित करने के लिए वैज्ञानिक जांच का आदेश देने से पहले उच्च न्यायालय ने कानपुर और रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और लखनऊ के बीरबल साहनी संस्थान सहित विभिन्न संस्थानों से रिपोर्ट मांगी थी।

 इस रिपोर्ट में कहा गया था कि उक्त संरचना की प्रत्यक्ष ‘कार्बन डेटिंग' संभव नहीं है और इसकी उम्र निर्धारित करने के लिए तत्वों की ‘प्रॉक्सी कार्बन डेटिंग' की जा सकती है, जिसके लिए ‘शिवलिंग' के आसपास मौजूद सामग्री का विस्तृत अध्ययन किए जाने की जरूरत है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि सतह के नीचे मौजूद कुछ जैविक तत्वों की ‘कार्बन डेटिंग' से भी संरचना की उम्र का पता लगाया जा सकता है, लेकिन इस बाबत यह स्थापित करने की जरूरत है कि ये तत्व उक्त संरचना से जुड़े हुए हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ramkesh

Recommended News

Related News

static