नेता प्रतिपक्ष का पद याची का अधिकार नहीं, हाईकोर्ट ने खारिज की सपा नेता लाल बिहारी यादव की याचिका
punjabkesari.in Friday, Oct 21, 2022 - 11:29 PM (IST)

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता विरोधी दल के रूप में दी गयी मान्यता समाप्त करने के सभापति के आदेश में कोई खामी न पाते हुए याचिका खारिज दी। समाजवादी पार्टी के नेता यादव की नेता विपक्ष की मान्यता सात जुलाई 2022 को समाप्त कर दी गयी थी।
न्यायमूर्ति ए आर मसूदी एवं न्यायमूर्ति ओ पी शुक्ला की पीठ ने यादव की याचिका पर यह आदेश पारित किया। न्यायमूर्ति शुक्ला ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य विधानमंडल (सदस्यों के वेतन और पेंशन) अधिनियम, 1980 के तहत विधान परिषद में नेता विरोधी दल की मान्यता के संबध में कोई तंत्र नहीं है। उन्होंने कहा कि नियमों के तहत सभापति को नेता विरोधी दल के रूप में मान्यता देने या वापस लेने का विवेक है। सभापति ने यदि नेता विरोधी दल के रूप में यादव को दी गयी मान्यता वापस ले ली तो इसमें किसी नियम का उल्लंघन नहीं है।
विधान परिषद एवं सभापति की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने दलील दी कि प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम, 1956 के नियम 234 के तहत सभापति ने अपने विवेक का प्रयोग कर यादव को सभापति के रूप में मान्यता से वंचित किया है जो कि पहले से चली आ रही परम्परा के अनुकूल है। समाजवादी पार्टी के नेता यादव वर्ष 2020 में विधानपरिषद सदस्य बने और 27 मई 2020 को उन्हें विधान परिषद के विरोधी दल के नेता के रूप में मान्यता दी गयी। बाद में परिषद में समाजवादी पार्टी के विधायकों की संख्या दस से कम होने पर सभापति ने उनकी मान्यता समाप्त कर दी थी, जिसे उन्होंने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।