टिड्डियों के हमले से निजात पाने के लिए ये है कारगर उपाय

punjabkesari.in Saturday, May 30, 2020 - 06:06 PM (IST)

प्रयागराजः टिड्डी दल के संभावित हमले के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में प्रयागराज की उद्यान अधिकारी प्रतिभा पाण्डेय ने किसानों को सलाह दी है कि टिड्डियों को खेतों के आसपास धुआं कर खदेड़ा जा सकता है। पांडेय ने शनिवार को बताया कि टिड्डी हेमिप्टेरा के सिकेडा वंश का कीट है। घासफूस में आग लगाकर या तेज धुआं सुलगाकर टिड्डियों को खेतों में उतरने से रोका जा सकता है। इनका दल खेत में उतरने के कुछ ही देर में फसल को नष्ट करने में सक्षम होता है। उद्यान अधिकारी ने बताया कि यह कीट भारत, पाकिस्तान तथा मध्य एशिया के कई देशों में रेगिस्तानी भूमि में अंडे देते है तथा भोजन अनुकूल मौसम की तलाश में कई मील तक उड़ान भर सकते है। यह 15 से 30 मिनटों में खेत में खड़ी फसल की पत्तियों को खाकर नष्ट कर सकते है।

उन्होंने बताया कि एक टिड्डी दल झांसी के समीप ओरछा आजादपुर होते हुए बलुआ सागर के आस.पास देखा गया है तथा उसके कानपुर की ओर बढ़ने की सम्भावना है। इस दल के प्रयागराज में प्रवेश की सम्भावना के द्दष्टिगत सर्तकता के साथ ही अन्य संसाधनों को व्यवस्थित करना आवश्यक है।

अधिकारी ने बताया कि टिड्डीयों के झुण्ड को फसलों से दूर रखने के प्रमुख उपायों में टिड्डी दल के समूह को खेतों में उतरने से रोकने के लिए तुरंत अपने खेतों के आस-पास मौजूद घास-फूस से आग जलाना चाहिए अथवा धुआं उत्पन्न करना चाहिए जिससे टिड्डी दल खेत में न बैठकर आगे निकल जाए। टिड्डी के प्रकोप की दशा में एक साथ इकट्ठा होकर टीन के डब्बो, थालियों आदि बजाते हुए शोर मचाए। पटाखे फोड़े, ट्रेक्टर के साइलेंसर को निकालकर भी तेज ध्वनि करना चाहिए। तेज शोर से टिड्डी दल आस पास के खेत में नहींं उतरते आगे चले जाते हैं। उन्होने बताया कि बलूई मिट्टी टिड्डे के प्रजनन एवं अण्डे देने के लिए सर्वाधिक अनुकूल होता है। अत: टिड्डी दल के आक्रमण से सम्मलित ऐसी खेती वाले क्षेत्रों में जुताई करवा कर जल का भराव कर देना चाहिए। 


 


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Tamanna Bhardwaj

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