छुआछूत का शिकार हुई महिला अधिकारी, दलित होने पर नहीं दिया पानी

punjabkesari.in Wednesday, Aug 01, 2018 - 04:44 PM (IST)

कौशांबी(शिवनंदन साहू): भारतीय समाज में कई बुराइयां फैली हुई हैं, जिनमें से एक है जाति व्यवस्था। इसकी वजह से कई बार हमारे समाज में शर्मसार करने वाली घटनाएं होती रहती हैं। जिनकी वजह से हमें अपने देश में ही नहीं कई बार बाहरी देशों के लोगों के सामने भी असहज होना पड़ता है।
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ताजा मामला प्रदेश के कौशांबी जिले में सामने आया है, जहां महिला अधिकारी के दलित होने पर उसके साथ भेदभाव किया गया। जहामंझनपुर में पशु चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात डाॅ. सीमा अंबावां पूरब गांव में विकास कार्यों की जांच के लिए गई थी। इस दौरान प्यास लगने पर जब उन्होंने पानी मांगा तो किसी ने उन्हें पानी नहीं दिया। इस मौके पर मौजूद ग्राम विकास अधिकारी और क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीड़ीसी) ने भी उनके साथ भेदभाव किया। बीडीसी ने तो यहां तक कह दिया कि इससे बोतल गंदी हो जाएगी। पानी ना मिलने की वजह से महिला अधिकारी की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उसने जिलाधिकारी तथा सदर विधायक से इस बात की शिकायत की।
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दरअसल मंझनपुर पशु चिकित्सालय में बतौर पशु चिकित्साधिकारी तैनात दलित महिला डाॅ. सीमा को मंझनपुर विकास खंड के अंबावां पूरब गांव में हुए विकास कार्यों की हकीकत जांचने की जिम्मेदारी सौंपी गई। मंगलवार की दोपहर डाॅ. सीमा गांव पहुंची और स्थलीय निरीक्षण के बाद पंचायत भवन में ग्रामीणों की मौजूदगी में बिन्दुवार जांच करने लगी। इस दौरान पानी वाली घटना घटी। रास्ते में उन्होंने अपने वाहन के ड्राइवर से पानी का इंतजाम कर अपनी प्यास बुझाई। छुआछूत का शिकार हुई महिला डाॅ.सीमा का कहना है कि दलितों का शोषण आज भी जारी है। सरकार को इस बारे मे सोचना चाहिए कि इससे कैसे निपटा जाए।

वहीं अपने ऊपर लगे आरोपों से ग्राम विकास अधिकारी रविदत्त मिश्रा साफ इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि पानी की व्यवस्था में थोड़ी देरी हुई थी, जिससे महिला अधिकारी नाराज होकर चली गई। गांव की ही एक बुजुर्ग महिला ने महिला अधिकारी के साथ पानी को लेकर हुए भेदभाव को सही बताया है। 


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Tamanna Bhardwaj

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