UP: भीषण गर्मी के बीच ‘आक्सीजन हब'' बन कर उभरा है इटावा सफारी पार्क, ताजी हवा के साथ मिलेगा Adventure का भी पूरा मजा

punjabkesari.in Wednesday, Jun 15, 2022 - 05:42 PM (IST)

इटावा: भीषण गर्मी से समूचा उत्तर भारत इन दिनों तप रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश में चंबल के बीहड़ों में स्थापित इटावा सफारी पार्क आक्सीजन हब के रूप में लोगों को सुकुन भरी ठंडी हवाओं का अहसास करा रहा है।      

सफारी पार्क के उपनिदेशक अरुण कुमार सिंह ने बुधवार को बताया कि इटावा और उसके आसपास अधिकांश बीहड़ क्षेत्र है। सफारी पार्क में ब्राडलीव, विभिन्न प्रकार की बडी पत्तियों वाले प्रजाति के पौधे रोपित किए गये है। इसके अलावा पूरा इलाका क्लोज होने के बाद पूर्व से जो रूटस्टॉक था वो आज वृक्ष बन गए और वृक्ष बनने के कारण इटावा सफारी पार्क में इस समय ग्रीन कवर हो गया है ओर ग्रीन कवर होने का मतलब यह है कि यहॉ पर आक्सीजन प्रचुर मात्रा में उत्पन्न हो रही है। जहां आक्सीजन की मात्रा अधिक होती है वहां स्वाभाविक रूप से एक माइक्रोक्लाइमेट विकसित हो जाता है।      

उन्होंने कहा कि यहां का तापमान गर्मियों में शहर के मुकाबले लगभग पांच डिग्री कम रहता है वहीं सर्दियों में अधिक रहेगा। यहां जो वनस्पतियां है वह एयर कंडिशनिग का काम करती है। इटावा सफारी पार्क के क्षेत्रीय वन अधिकारी विनीत कुमार सक्सेना कहना है कि सफारी में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ पौधे हैं तथा भरपूर हरियाली है। यह पेड हमें आक्सीजन दे रहे हैं। जो प्राणियों के जीवन के लिए आवश्यक हैं। साढे तीन सौ हेक्टेयर का यह क्षेत्र पर्यावरण के हिसाब से एक आदर्श क्षेत्र बन चुका है। यह हमें खतरनाक प्रदूषण से बचाएगा।

इटावा सफारी पार्क में बड़ी तादात में लगाये गए पेडो के कारण ग्रीन कवर बन गया है जब कही ग्रीन कवर बन जाता है वहा पर आक्सीजन की मात्रा अपने आप में अधिक होना शुरू हो जाता है। एक प्रौढ पेड़ 10 कूलर के बराबर ठंडक देता है। इटावा सफारी पार्क परिसर में बड़ी तादात में बरगद,पीपल और पाखर के पेडों का रोपण किया गया है। यह सब होने से लगातर तापमान गिर जाता है। जब वृक्ष उत्सर्जन करते हैं तो से वाष्प निकलती है जो वातावरण को ठंडा करती है। चूंकि शहर में वाहन चलाने के कारण के अलावा अन्य गतिविधियों के कारण वहां तापमान ज्यादा रहता है।      

इटावा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.भगवान सिंह का कहना है कि आक्सीजन मानवजीवन के लिए आवश्यक हैं। यह पेड पौघों से ही मिलती है। इसके साथ ही पेड कार्बन डाईआक्साइड को भी अवशोषित करते हैं। ऐसे समय में सफारी में पेडों की संख्या बढना बेहद उपयोगी है क्योकि इससे हमें जरूरी आक्सीजन मिलेगी।


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Content Writer

Mamta Yadav

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