विवादों के बीच WFI अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता का किया उद्घाटन, नन्दिनी नगर में 3 दिन चलेगा टूर्नामेंट

punjabkesari.in Saturday, Jan 21, 2023 - 05:53 PM (IST)

गोंडा: विवादों में फंसे भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने आज जिले के नन्दिनी नगर में सीनियर नेशनल ओपेन रैंकिंग कुश्ती टूर्नामेंट का शुभारंभ किया।  इस दौरान देश भर से काफी संख्या में महिला और पुरुष पहलवान प्रतिभाग के लिए पहुंचे हैं। तीन दिवसीय टूर्नामेंट मे कुश्ती के सभी भारवर्गों में पुरुषों के फ्रीस्टाइल और ग्रीकोरोमन तथा महिलाओं के फ्रीस्टाइल के मुकाबले कराए जाएंगे। कार्यक्रम में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह  गोंडा सदर विधायक प्रतीक भूषण सिंह, कुश्ती संघ उपाध्यक्ष करन भूषण सिंह, भाजपा विधायक अजय सिंह व पलटूराम मौके पर मौजूद रहे।  बता दें कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के खिलाफ तीन दिन से विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और रवि दहिया सहित कई पहलवानों शोषण का आरोप लगा कर धरने पर बैठे थे। केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर की बातचीत के बाद खिलाड़ियों ने धरना समाप्त कर दिया। सरकार ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पर लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक निगरानी समिति गठित करने का फैसला किया है। समिति के सदस्यों के नामों की घोषणा अभी नहीं की गई है। यह समिति महासंघ के रोजमर्रा के काम को भी देखेगी।

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खेल मंत्री ठाकुर और आंदोलनकारी पहलवानों के देर रात संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के बाद पिछले तीन दिनों से चला आ रहा गतिरोध समाप्त हुआ। इस संवाददाता सम्मेलन में ही खेल मंत्री ने समिति गठित करने की घोषणा की और कहा कि वह एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। ठाकुर ने लगभग पांच घंटे तक चली बैठक के बाद कहा, ‘‘ एक निगरानी समिति बनाने का फैसला किया गया है जिसके सदस्यों के नामों की घोषणा कल (शनिवार) की जाएगी। समिति चार हफ्ते में जांच पूरी करेगी । वह डब्ल्यूएफआई और इसके अध्यक्ष के खिलाफ वित्तीय या यौन उत्पीड़न के सभी आरोपों की गंभीरता से जांच करेगी।'' उन्होंने बताया, ‘‘ जांच पूरी होने तक वह (सिंह) अलग रहेंगे और जांच में सहयोग करेंगे जबकि डब्ल्यूएफआई के रोजमर्रा के काम को निगरानी समिति देखेगी


पहलवानों की तरफ से ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने कहा कि वह विरोध का रास्ता नहीं अपनाना चाहते थे लेकिन उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया। तोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग ने कहा, ‘‘ हमारा विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गया है। हम धरने पर नहीं बैठना चाहते थे लेकिन पानी सर से ऊपर चला गया था। सरकार ने हमें सुरक्षा का आश्वासन भी दिया है क्योंकि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष से हमें अतीत में भी धमकी मिलती रही है।'' खेल मंत्री या पहलवानों में से किसी ने भी पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दिया। इससे एक दिन पहले पहलवानों ने कहा था कि वह डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज कराएंगे लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसे पहलवानों की बड़ी जीत तो नहीं कहा जा सकता क्योंकि उन्होंने पहले कहा था कि वह तब तक अपना धरना जारी रखेंगे जब तक कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष को बर्खास्त करके महासंघ को भंग नहीं किया जाता।

हालांकि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के संविधान के अनुसार किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) को तब तक भंग नहीं किया जा सकता है जब तक कि उसने आईओए के किसी नियम या दिशानिर्देश का उल्लंघन नहीं किया हो या फिर विश्व संस्था ने उसकी मान्यता रद्द नहीं की हो। गौरतलब है कि पहलवानों ने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न को लेकर अभी तक पुख्ता सबूत पेश नहीं किए हैं। इससे पहले पहलवानों ने आईओए के पास जाकर जांच करने का आग्रह किया था। आईओएन ने उनकी मांगों पर गौर करते हुए एमसी मैरीकॉम की अध्यक्षता में सात सदस्यीय जांच समिति गठित की। आईओए के पैनल में पहलवान योगेश्वर दत्त, तीरंदाज डोला बनर्जी और भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष और आईओए के कोषाध्यक्ष सहदेव यादव भी शामिल हैं। इस समिति में दो वकील तालिश रे और श्लोक चंद्रा भी शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी और आईओए की संयुक्त सचिव अलकनंदा अशोक भी समिति का हिस्सा हैं। उन्हें समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया है। 


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Ramkesh

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