जब अपना ही बन गया पराया... बेटों ने ठुकराया, अब वृद्धाश्रम ही बना सहारा, पढ़ें दर्द में डूबे बुजुर्गों की कहानी

punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 02:22 PM (IST)

आगरा: एक मां-बाप अपने बच्चों को 25 साल तक पालते हैं, उन्हें पढ़ाते-लिखाते हैं, और जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो वे अपने ही बच्चों धोखा दे देते हैं फिर ये दुख बड़ा ही दर्दनाक होता है। ऐसा ही एक मामला आगरा से सामने आया है जिसे सुनकर हर किसी आंखों से आंसू आ गए। दरअसल, एक निसंतान दंपती ने एक बेटे को गोद लिया किया कि बुढ़ापे में हमारा सहारा बनेगा। लेकिन यह बेटा बुढ़ापे में सड़क पर छोड़ दिया। सिकंदरा स्थित रामलाल वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों की आंखों में यह दर्द आज भी झलकता है। यहां रहने वाले 350 से अधिक बुजुर्गों में से अधिकांश वे हैं जिन्हें अपने ही बच्चों ने घर से निकाल दिया।

बेटे ने छीना घर, बुजुर्ग दंपती हुए बेघर
70 वर्षीय राजेश अग्रवाल और उनकी पत्नी गीता रानी, सिकंदरा के ही रहने वाले हैं। राजेश बताते हैं कि “हमारे कोई संतान नहीं थी। इसलिए एक बेटे को गोद लिया, पढ़ाया-लिखाया, कारोबार में लगाया। लेकिन उसी ने घर बिकवाकर हमें सड़क पर ला दिया। दो साल पहले बेटे ने उन्हें मकान बेचने के लिए राजी किया। 46 लाख रुपये की डील हुई, लेकिन कुछ ही समय बाद बेटा सारा पैसा लेकर ससुराल चला गया। अब यह दंपती पिछले पांच महीने से आश्रम में रह रहा है।

‘बेटा भूखा रखता था, बेटी आंसू पोछने आती है’
बेलनगंज के सीमेंट व्यापारी श्यामलाल खंडेलवाल और उनकी पत्नी शकुंतला देवी की कहानी सुनकर हर कोई भावुक हो जाता है। श्यामलाल बताते हैं“बुढ़ापे में जब शरीर जवाब देने लगा, तो बेटा हमें दो-दो दिन भूखा रखता था। एक दिन धक्का देकर घर से निकाल दिया। अब वे पिछले नौ महीने से वृद्धाश्रम में रह रहे हैं। बेटी कभी-कभी हालचाल लेने आ जाती है, मगर बेटे ने दोबारा मुड़कर नहीं देखा।

दिवाली की यादें, अब सिर्फ आंखों में
यहां रहने वाले छोटेलाल, रमेशचंद गर्ग, महेंद्र शर्मा और ओमकार जैसे बुजुर्ग भी जब अपने घर की याद करते हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं।
वे कहते हैं। “जब बच्चे छोटे थे, दिवाली पर पटाखे मांगते थे। जेब खाली होती थी, फिर भी उनकी खुशी के लिए सब करते थे। अब वही बच्चे हमें भूल गए। इन बुजुर्गों ने अब तय कर लिया है कि वे वृद्धाश्रम को ही अपना घर मानेंगे, और दिवाली यहीं सबके साथ मनाएंगे। “अब यही हमारा परिवार है,” वे मुस्कराकर कहते हैं, लेकिन आंखें सब कुछ कह जाती हैं।
 


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Content Writer

Ramkesh

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