Lok Sabha Election 2024: आजमगढ़ सीट पर फिर खिलेगा कमल या साइकिल करेगी वापसी, जानिए एक नजर में सीटों का समीकरण

punjabkesari.in Thursday, Apr 18, 2024 - 07:53 PM (IST)

आजमगढ़: उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में एक आजमगढ़ लोकसभा सीट है। यह क्षेत्र यूपी की हाई-प्रोफाइल सीटों में से एक है।  जिसकी खास वजह मुलायम सिंह यादव परिवार के सदस्य का यहां से चुनाव लड़ना रहा है, इस सीट पर साल 2014 का चुनाव जहां मुलायम सिंह यादव लड़कर जीते थे। वहीं साल 2019 के पिछले इलेक्शन में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जीत दर्ज की थी। अगर बात आजमगढ़ लोकसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की करें, तो इस सीट पर साल 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के अलगू राय शास्त्री ने जीत दर्ज की थी।  साल 1957 के चुनाव में कांग्रेस के ही कालिका सिंह चुनाव जीतकर सांसद बने थे। वहीं साल 1962 में कांग्रेस के सिंबल पर ही राम हरख यादव ने बाजी मारी थी। इस जीत के साथ कांग्रेस ने यहां पर हैट्रिक लगाई थी। फिर साल 1967 और 1971 के अगले दो चुनाव में लगातार कांग्रेस से चंद्रजीत यादव ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर कांग्रेस ने लगातार पांच चुनाव जीतकर लंबे समय तक अपना कब्जा जमाए रखा था, लेकिन आपातकाल के बाद साल 1977 के चुनाव में कांग्रेस को यहां पर हार मिली थी और जनता पार्टी के राम नरेश यादव ने जीत हासिल की थी।

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हालांकि अगले साल 1978 के उपचुनाव में इस सीट को कांग्रेस की मोहसिना किदवई ने फिर से जीत लिया था, जबकि साल 1980 के अगले चुनाव में जनता पार्टी सेक्युलर से चंद्रजीत यादव ने जीत का परचम लहराया था, लेकिन साल 1984 में कांग्रेस के संतोष सिंह ने जीत हासिल की थी। मगर उसके बाद फिर कांग्रेस को यहां पर आज तक जीत नहीं मिली सकी है। साल 1989 में इस सीट पर पहली बार बसपा का खाता खुला था।  राम कृष्ण यादव बहुजन समाज पार्टी से सांसद बने थे, लेकिन साल 1991 में फिर से चंद्रजीत यादव जनता पार्टी के टिकट पर जीतकर चौथी बार लोकसभा पहुंचे थे, वहीं साल 1996 में रमाकांत यादव ने सपा का खाता खोला था। 

जबकि साल 1998 में बसपा से अकबर अहमद डंपी ने चुनाव में जीत दर्ज की थी हालांकि साल 1999  के चुनाव में फिर से सपा के रामाकांत यादव ने बाजी मारी थी और दूसरी बार सांसद चुने गए थे... साल 2004 के चुनाव में भी रमाकांत यादव ने ही तीसरी बार जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार रमाकांत सपा छोड़कर बसपा से चुनाव मैदान में उतरे थे, रमाकांत यादव के जेल जाने के बाद इस सीट पर साल 2008 में उपचुनाव हुआ था जिसमें बसपा के अकबर अहमद डंपी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन साल 2009 का आम चुनाव रमाकांत यादव ने बीजेपी के टिकट पर लड़ा था। रमाकांत यादव खुद इस बार चौथी बार सांसद बने और आजमगढ़ में बीजेपी को पहली बार जीत दिलाई थी साल 2014 में सपा के मुलायम सिंह यादव ने रमाकांत को हरा दिया था। वहीं साल 2019 के पिछले चुनाव में सपा के ही अखिलेश यादव यहां से सांसद चुने गए थे

आपको बता दें कि आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधासनभा सीटें आती हैं... जिसमें गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेहनगर सुरक्षित शामिल है। 

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साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र की सभी पांच सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती है। बीजेपी, कांग्रेस और बसपा का यहां पर अपना खाता नहीं खोल पाई। अगर बात मतदाताओं की करें, तो आजमगढ़ लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 70 हजार 637 है... जिनमें पुरुष मतदाताओं की कुल संख्या 9 लाख 62 हजार 889 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 07 हजार 674 है, वहीं ट्रांसजेंडर के कुल 74 मतदाता शामिल हैं। 

आइए एक नजर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर डालते हैं
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इस सीट पर अगर बात साल 2022 के लोकसभा उपचुनाव की करें, तो अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद आजमगढ़ सीट खाली हुई थी। अखिलेश यादव ने करहल से विधायक बनने के बाद अपनी लोकसभा की सदस्यता को छोड़ दिया था। उपचुनाव में इस सीट पर बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत दर्ज की थी। दिनेश यादव ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को बेहद नजदीकी मुकाबले में हराया था।  दिनेश लाल निरहुआ को कुल 3 लाख 12 हजार 768 वोट हासिल हुए थे, जबकि सपा के धर्मेंद्र यादव 3 लाख 4 हजार 89 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे थे। वहीं बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को कुल 2 लाख 66 हजार 220 वोट मिले थे गुड्डू जमाली तीसरे स्थान पर रहे थे। मगर जमाली की सपा की हार में अहम भूमिका रही, जो बीजेपी की जीत का सबब बनी थी। 

आइए एक नजर साल 2018 उपचुनाव के नतीजों पर डालते हैं
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आजमगढ़ सीट पर साल 2019 के पिछले आम चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर सपा ने जीत दर्ज की थी सपा के अखिलेश यादव ने बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को करीब ढाई लाख वोटों के अंतर से हराया था। अखिलेश यादव को कुल 6 लाख 21 हजार 578 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे दिनेश लाल यादव निरहुआ को 3 लाख 61 हजार 704 मत मिले थे, वहीं तीसरे नंबर पर ओमप्रकाश राजभर की पार्टी एसबीएसपी के अभिमन्यु सिंह सनी रहे थे... अभिमन्यु सनी को केवल 10 हजार 78 वोट पड़े थे। 

आइए एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालते हैं

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बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर सपा के मुलायम सिंह यादव जीते थे मुलायम सिंह को कुल 3 लाख 40 हजार 306 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के रामाकांत यादव 2 लाख 77 हजार 102 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली तीसरे स्थान पर रहे थे... जमाली 2 लाख 66 हजार 528 वोट मिले थे। 

आइए एक नजर साल 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालते हैं

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अगर बात साल 2009 के लोकसभा चुनाव की करें, तो इस सीट पर बीजेपी के रमाकांत यादव ने जीत दर्ज की थी। रमाकांत यादव को कुल 2 लाख 47 हजार 648 वोट मिले थे, जबकि बसपा के अकबर अहमद डंपी 1 लाख 98 हजार 609  वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं सपा के दुर्गा प्रसाद यादव को 1 लाख 23 हजार 844 वोट मिले थे दुर्गा यादव तीसरे स्थान पर रहे थे। 

आइए एक नजर साल 2009 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर डालते हैं
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आजादी के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट पर पहले पांच चुनाव जीतने का रिकॉर्ड कांग्रेस के नाम दर्ज है। कांग्रेस से चंद्र जीत यादव और मोहसिना किदवई जैसे नामवर चेहरे यहां से सांसद रहे हैं।. यह सीट साल 1952 से 1984 तक लंबे समय कांग्रेस का गढ़ रही थी, यहां पर जीत की एक मात्र हैट्रिक कांग्रेस ने ही लगाई है। बता दें कि अब तक आजमगढ़ संसदीय सीट पर तीन उपचुनाव समेत कुल 20 बार चुनाव हुआ है। जिसमें 7 बार कांग्रेस और 4-4 बार सपा व बसपा को कामयाबी मिली है, जबकि दो-दो बार जनता पार्टी और बीजेपी ने जीत दर्ज की है। अगर बात पिछले दो आम चुनाव की करें, तो सपा यहां पर चुनाव जीती है। एक बार साल 2014 में मुलायम सिंह यादव तो साल 2019 में अखिलेश यादव ने इस सीट पर बीजेपी को बड़े अंतर से हराया था। आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र यादव, दलित, राजभर और मुस्लिम बहुल माना जाता है,, हालांकि कुर्मी, ठाकुर, भूमिहार और अन्य ओबीसी बिरादरी के मतदाता भी यहां पर काफी संख्या में हैं। 

आम चुनाव 2024 की जंग में आजमगढ़ सीट पर इस बार फिर सैफई परिवार चुनाव मैदान में है।  सपा ने धर्मेंद्र यादव को यहां से दोबारा उम्मीदवार बनाया है। हालांकि वो उपचुनाव में मामूली अंतर से यहां पर बीजेपी से हार गए थे। बीजेपी ने उनके सामने फिर से भोजपुरी स्टार और उपचुनाव जीते दिनेश लाल यादव निरहुआ को ही मैदान में उतारा है। बीजेपी को भरोसा है कि सैफई के यादव परिवार को निरहुआ कड़ी टक्कर देकर चुनाव जीत सकते हैं। इस सीट पर यह निरहुआ का बीजेपी से तीसरा चुनाव है। सपा और बीजेपी से यादव प्रत्याशी मैदान में उतरने के बाद बसपा ने यहां पर बड़ा दांव चला है। मायावती ने मजबूत राजभर चेहरे पर दांव खेलते हुए बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को हाथी के महावत की जिम्मेदारी दी है। हालांकि यह क्षेत्र सपा का गढ़ कहलाता है और बसपा का मजबूत चेहरा रहे गुड्डू जमाली भी अब सपा के साथ आ गए हैं, जिससे सपा यहां पर और मजबूत हुई है., लेकिन बसपा ने यहां पर मजबूत ओबीसी कार्ड खेलकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है, वैसे भी कहावत है कि चुनाव रेत की दीवार होता है, पता नहीं कब किस हवा के छोके से दीवार ढह जाए। 
 


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Content Writer

Ramkesh

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