राहुल गांधी की जीत सुनिश्चित करने में जुटी कांग्रेसः इस बार का चुनाव ''सोनिया का बेटा'' बनाम ''रायबरेली का बेटा''
punjabkesari.in Saturday, May 18, 2024 - 06:20 PM (IST)
लखनऊः रायबरेली लोकसभा सीट से इस बार अमेठी छोड़कर आए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनावी मैदान में हैं। यहां उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी और योगी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह तथा बसपा के ठाकुर प्रसाद से है। ऐसे में रायबरेली का रण जीतने के लिए राहुल गांधी की बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी तो डेरा डाले ही हैं, अब सोनिया गांधी भी पहुंच गई हैं। प्रियंका यहां भी अपने परिवार के साथ लोगों को पुराना रिश्ता याद दिला रही हैं। राहुल गांधी की जीत सुनिश्चित करने के लिए यहां कांग्रेस शासित राज्यों के सीएम, डिप्टी सीएम और पूर्व सीएम का हर दिन प्रचार में आना-जाना लगा है, इसी के बीच शुक्रवार को सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एक मंच पर नजर आए।
उधर भाजपा ने भी अपने प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह के लिए पूरा जोर लगा रखा है। गृह मंत्री अमित शाह दो बार आ चुके हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य भाजपा को जिताने का मोर्चा संभाले हैं। भाजपा का मनोबल बागी सपा विधायक मनोज पांडेय का रुख मोड़ने में सफलता मिलने से बढ़ गया है। पहले वह भाजपा के प्रचार से दूरी बनाए थे, पर अब कह रहे हैं कि जो राम का नहीं, वह किसी के काम का नहीं। पांच दिन पहले अमित शाह, भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह के साथ मनोज पांडेय को समझाने उनके आवास पर गए थे। लेकिन रायबरेली सदर से भाजपा विधायक अदिति सिंह अभी खुलकर भाजपा के प्रचार में हिस्सा नहीं ले रही हैं।
रायबरेली से पिछले चुनाव में सोनिया गांधी ने दिनेश प्रताप सिंह को ही हराया था। लेकिन उनकी जीत का अंतर एक लाख से कुछ ज्यादा ही रह गया था। लोगों से बातचीत में भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह की स्थानीय लोगों के बीच आसानी से उपलब्धता और योगी सरकार में मंत्री पद उन्हें बढ़त दिलाती दिखती है, लेकिन अधिकतर लोग अमेठी की तरह गांधी परिवार से रिश्ता तोड़ने के लिए तैयार नहीं दिखते हैं। हालांकि विरासत के सवाल पर भाजपा नेता यह कहकर पलटवार करते हैं कि कांग्रेस के पास रायबरेली में कोई विधायक, एमएलसी, ब्लॉक प्रमुख, प्रधान कुछ भी तो नहीं है। इस बार का चुनाव 'सोनिया का बेटा' बनाम 'रायबरेली का बेटा' है। इस माहौल में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल यह कहकर लीड लेने की कोशिश कर रहे हैं कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री बनेंगे, ऐसे में आप सांसद नहीं पीएम का चुनाव कर रहे हैं। माना जा रहा है कि राहुल को पीएम कैंडिडेट बताकर कांग्रेस ने चुनाव जीतने के लिए रणनीतिक दांव चला है।
क्या है कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी समस्या
लेकिन कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि मतदाताओं का एक वर्ग अभी भी यह सवाल उठा रहा है कि राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली दोनों जगह से जीतने पर कहीं रायबरेली की सीट तो नहीं छोड़ देंगे। कांग्रेस नेता भी इस बारे में खुलकर गांरटी नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए राहत की बात यही है कि रायबरेली उसका गढ़ है। पार्टी इस सीट पर 20 लोकसभा चुनावों में 17 बार जीती है। रायबरेली में जातीय आधार देखें तो 34% दलित मतदाताओं के बाद 16% ब्राह्मण, 10% ठाकुर और 7% यादव मतदाता है। कुर्मी मतदाता करीब 5% और मुस्लिम मतदाता 6% हैं।