कान्हा की नगरी में ''प्रसाद'' या जहर? मथुरा रेलवे जंक्शन पर मिलावटी पेड़े का खेल बेनकाब—नाप-तौल से लेकर स्वाद तक सब फर्जी!
punjabkesari.in Wednesday, Dec 24, 2025 - 12:19 PM (IST)
Mathura News: उत्तर प्रदेश का मथुरा जिला दुनिया भर में भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के रूप में जाना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु मथुरा के पेड़ों को प्रसाद और सौगात मानकर खरीदते हैं। लेकिन अब मथुरा का नाम मिलावटखोरी और मुनाफाखोरी के मामलों में भी तेजी से जुड़ता जा रहा है। मथुरा रेलवे जंक्शन पर खुलेआम मिलावटी पेड़े बेचे जा रहे हैं। श्रद्धालु यह सोचकर स्टेशन पर बने स्टॉल से पेड़ा खरीदते हैं कि यहां मिलने वाला सामान शुद्ध और भरोसेमंद होगा, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है।
एक निजी चैनल की जांच में बड़ा खुलासा
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, एक निजी चैनल की टीम ने मथुरा रेलवे जंक्शन पर जाकर जांच की। टीम ने प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर स्थित एक स्टॉल से आधा किलो पेड़ा खरीदा। जब इन पेड़ों की गुणवत्ता की जांच की गई, तो नतीजे चौंकाने वाले थे। पेड़ा हाथ में लेते ही रेत की तरह बिखर गया। आमतौर पर पेड़ा बनाने में दूध, मावा, चीनी और इलायची का इस्तेमाल होता है, लेकिन इन पेड़ों में ना तो मावा था, ना दूध की खुशबू और ना ही इलायची या चीनी का स्वाद। पेड़ों को सिर्फ रंग डालकर सुनहरी बनाया गया था ताकि वे देखने में असली लगें।
'कृष्णा फूड्स' नाम की स्टॉल पर बिक रहा मिलावटी सामान
यह मिलावटी पेड़ा मथुरा जंक्शन पर 'कृष्णा फूड्स' नाम की स्टॉल से बेचा जा रहा था।
स्टॉल की यूनिट संख्या: 18
बिल बुक पर दर्ज GSTIN: 23ALKPR1087M1N
FSSAI नंबर: 10024905000010
इतनी जानकारी होने के बावजूद गुणवत्ता पर कोई नियंत्रण नजर नहीं आया।
खान-पान विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में
जब निजी चैनल की टीम ने मथुरा रेलवे जंक्शन के मुख्य खान-पान अधिकारी हरिश्चंद्र मीणा से मिलावटी पेड़े की जांच कराने को कहा, तो उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह मधुमेह (डायबिटीज) के मरीज हैं और पेड़ा नहीं चख सकते। जब उनसे पेड़े का सैंपल भरने के लिए कहा गया, तो उन्होंने साफ कहा कि स्टेशन पर कोई सैंपल नहीं लिया जाता। उन्होंने टीम को सलाह दी कि पेड़े की जांच कहीं बाहर करा ली जाए। इतना ही नहीं, अधिकारी ने यह भी कहकर बयान देने से बचने की कोशिश की कि उन्हें मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं है और पीआरओ आगरा में बैठते हैं।
नाप-तौल में भी खुला घोटाला
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि स्टॉल पर नाप-तौल में भी गड़बड़ी की जा रही है। टीम को बताया गया कि पेड़े की कीमत 400 रुपये प्रति किलो है। इस हिसाब से 200 रुपये में 500 ग्राम पेड़ा मिलना चाहिए था, लेकिन वास्तव में सिर्फ 400 ग्राम पेड़ा ही दिया गया। इसका मतलब साफ है कि ग्राहक से पूरे पैसे वसूले जा रहे हैं, लेकिन सामान कम दिया जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति एक किलो पेड़ा खरीदता है, तो उसे करीब 800 ग्राम ही मिलेगा।
श्रद्धालुओं की सेहत से खिलवाड़, कार्रवाई नदारद
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इतनी खुली मिलावट और गड़बड़ी के बावजूद किसी भी विभाग की ओर से कोई सख्त कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है। आरोप है कि खान-पान विभाग के कुछ अधिकारी हर महीने मोटी रकम लेकर आंखें बंद किए बैठे हैं। मथुरा रेलवे स्टेशन पर रोज हजारों श्रद्धालु और यात्री आते हैं। ऐसे में इस तरह का मिलावटी खाद्य पदार्थ लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
अब सवाल यह है कि
- क्या प्रशासन इस मिलावटखोरी पर लगाम लगाएगा?
- या फिर श्रद्धालुओं की सेहत यूं ही मुनाफाखोरी की भेंट चढ़ती रहेगी?

