पक्षपात के चश्मे से नहीं 'पीड़ा भरी आँख' से भी देखा जाना चाहिए: अखिलेश यादव
punjabkesari.in Friday, Oct 03, 2025 - 03:55 PM (IST)

लखनऊ: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ‘क्राइम इन इंडिया 2023' रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था के स्थिति की तारीफ की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में यूपी में सांप्रदायिक और धार्मिक दंगों की संख्या शून्य रही। ऐसे में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि भाजपा सरकार के कामकाज को सिर्फ पक्षपात के चश्मे से नहीं, बल्कि 'पीड़ा भरी आँख' से भी देखा जाना चाहिए।
'एक होर्डिंग इस सच का भी लगना चाहिए...'
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि एक आँकड़ा ये भी है। भाजपा सरकार के काम को सिर्फ पक्षपात के चश्मे से नहीं, पीड़ा भरी आँख से भी देखा जाए। उप्र में दलित दमन चरम पर है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि एक टीवी शो इस आँकड़े पर भी होना चाहिए। एक होर्डिंग इस सच का भी लगना चाहिए। एक विस्तृत रिपोर्ट इस पर भी समाचार के रूप में प्रसारित-प्रकाशित होनी चाहिए। एक एसआईटी इसकी विवेचना के लिए भी बननी चाहिए। एक अध्याय इसके लिए भी, पाठ्यक्रम में जोड़ा जाए।
एक आँकड़ा ये भी है। भाजपा सरकार के काम को सिर्फ़ पक्षपात के चश्मे से नहीं, पीड़ा भरी आँख से भी देखा जाए। उप्र में दलित दमन चरम पर है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 2, 2025
- एक टीवी शो इस आँकड़े पर भी होना चाहिए।
- एक होर्डिंग इस सच का भी लगना चाहिए।
- एक विस्तृत रिपोर्ट इस पर भी समाचार के रूप में… pic.twitter.com/UUPMF5lkeF
'एक श्वेतपत्र इस काले अपराध पर भी आना चाहिए'
अखिलेश यादव ने ये भी कहा, एक जाँच आयोग इसके लिए भी बैठाया जाए। एक विशेष वाहिनी, दलित-दमन के उन्मूलन के लिए भी बनाई जाए। एक श्वेतपत्र इस काले अपराध पर भी आना चाहिए। एक रोड शो इस समस्या के बारे में भी जागरूकता फैलाने के लिए निकाला जाए। एक ‘पाँच हज़ार वर्षीय' आयोजन, इस ऐतिहासिक उत्पीड़न की ‘पंच सहस्राब्दी' के रूप में, चेतना जगाने के लिए भी आयोजित किया जाए।
2017 के बाद कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ
गौरतलब है कि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में अपराध दर राष्ट्रीय औसत से 25 प्रतिशत कम रही। देश में कुल अपराध दर 448.3 थी, जबकि यूपी में यह केवल 335.3 दर्ज की गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2012-2017 के बीच यूपी में 815 दंगे हुए थे, जिनमें 192 लोग मारे गए। वहीं 2007-2011 में 616 घटनाओं में 121 मौतें हुईं। इसके विपरीत, 2017 के बाद कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ। बरेली और बहराइच में हुई दो हिंसक घटनाओं को भी सरकार ने 24 घंटे के भीतर नियंत्रित कर शांति बहाल कर दी।