मोरारी बापू की सुप्रीम कोर्ट से अपील, जल्द से जल्द हो राम मंदिर मामले की सुनवाई

punjabkesari.in Sunday, Jan 20, 2019 - 01:07 PM (IST)

लखनऊ\नई दिल्ली: प्रख्यात ‘राम कथा’ वाचक मोरारी बापू ने उच्चतम न्यायालय से अपील की है कि अयोध्या में विवादित राम मंदिर मामले की सुनवाई में देरी ना की जाए ताकि मंदिर का निर्माण जल्द हो सके। मोरारी बापू ने एक टेलीविजन चैनल पर प्रसारित होने वाले ‘आप की अदालत’ शो में कहा कि मेरी अंतरात्मा चाहती है कि अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर ही मंदिर बनाया जाए। मैं उच्चतम न्यायालय से अपील करता हूं कि 29 जनवरी को तय सुनवाई को नहीं टाला जाए। फैसला जितनी जल्दी आएगा, उतनी ही जल्दी अगला कदम उठाना आसान होगा।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अपने विचार हो सकते है। वह संविधान का पालन करना चाहते हों। मैं शीर्ष न्यायालय से अपील करुंगा कि मंदिर का फैसला शीघ्र सुनाया जाए, ताकि देश को लोग जान सके कि वे कहां खड़े है और किस पथ से राम मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं। उन्होंने ने कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर के राजा दशरथ के महल में सैकड़ों कमरे होने और यह निश्चित नहीं होने कि राजा राम का जन्म किस कमरे में हुआ था, से संबंधित टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राम का एक महल था जहां उनका जन्म हुआ था इसलिए मंदिर वहीं बनना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ज्यादातर राजनेता ‘साम, दाम, दंड, भेद का सहारा लेते हैं लेकिन कोई हमारे प्रधानमंत्री की देशभक्ति पर सवालिया निशान नहीं उठा सकता। राम कथा वाचक ने लोकसभा चुनावों पर उनके आकलन के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्होंने कई गावों का दौरा किया और लोगों से बातचीत की। लोगों ने विकल्प के बारे में कहा और उनमें से अधिकांशत: एक विकल्प चाहते हैं। मोरारी बापू ने कहा कि मोदी सरकार ने बहुत से अच्छे कार्य किए हैं, लेकिन सभी की मांग को पूरा करना मुश्किल है। मैं कोई राजनेता नहीं हूं जो कि लोगों से कहूं कि किसे वोट देना है। यह मतदाताओं पर निर्भर करता है कि उनकी अंतरात्मा किसे वोट देने के लिए कहती है और उसे ही वोट दें जिन्हें वे पसंद करते हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के निरंतर मंदिरों के दौरे करने पर उन्होंने कहा कि मैं इसका स्वागत करता हूं। मोरारी बापू ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भगवान हनुमान की तुलना आदिवासियों और दलितों के साथ करने पर उठे विवाद पर कहा कि भगवान हनुमान पवनपुत्र (पवन के पुत्र) हैं, जिनकी कोई जाति नहीं है, ना हीं कोई धर्म है। जब हुनमान भगवान राम को पहली बार मिले तो ब्राह्मण रूप में मिले। वह जब राक्षक्षों से लड़े तो एक क्षत्रिय के रूप में लड़े। उन्होंने एक शूद्र की तरह आजीवन भगवान राम की सेवा की।


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