Chhath Puja 2022: व्रतधारी महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य, देखिए छठ घाटों पर महापर्व छठ की छटा

punjabkesari.in Sunday, Oct 30, 2022 - 09:58 PM (IST)

जौनपुर/देवरिया/बस्ती/कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके सहित प्रदेश के तमाम इलाकों में लोक आस्था के पर्व छठ पर रविवार की शाम को डूबते सूर्य को व्रती महिलाओं ने अर्घ्य दिया। प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा जौनपुर, देवरिया, बस्ती और कुशीनगर सहित अन्य इलाकों से मिली जानकारी के मुताबिक छठ घाटों पर व्रतधारकों के लिये भगवान भास्कर की उपासना के पर्याप्त इंतजामों के बीच पूरी आस्था के साथ यह पर्व मनाया गया। गौरतलब है कि पुत्र प्राप्ति, समृद्धि एवं मंगलकामना के पर्व के रूप में छठी मैया की उपासना की जाती है।       
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जौनपुर में शाम ढलते ही व्रती महिलाओं का हुजूम आदि गंगा गोमती के हनुमान घाट सहित विभिन्न घाटों पर एकत्र हुआ और डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब व जलाशयों में भी सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया। दोपहर से ही छठव्रतियों एवं दर्शनार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। बड़ी संख्या में छठव्रती अपने पूरे परिवार एवं गाजे-बाजे के साथ घाटों पर पहुंच गये। इन लोगों ने शाम को पूरे विधि-विधान से सूर्य देव की आराधना की।       
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छठव्रतियों ने आतिशबाजी और गाजे-बाजे के बीच डूबते सूर्य एवं छठमाता की आराधना की। इस पर्व में प्रसाद से भरे बांस के सूप और टोकरियों को घाट पर ले जाया जाता है। जहां सूर्य देव और छठी मैय्या को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भक्त निर्जला व्रत करते हैं। निर्जला व्रत छठ के चौथे या अंतिम दिन के सूर्योदय तक जारी रहता है। जब सूर्य भगवान और छठी मैय्या को उषा अर्घ्य दिया जाता है। छठ पर्व के अंतिम दिन अर्घ्य के बाद, बांस की टोकरियों से प्रसाद पहले व्रतियों द्वारा खाया जाता है, फिर परिवार के सभी सदस्यों और व्रतियों के साथ वितरित किया जाता है। छठ पूजा को चार दिवसीय त्योहार के आज तीसरे दिन, डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे संध्या अर्घ्य या पहले अर्घ्य के रूप में जाना जाता है।       
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छठ के प्रसाद को तैयार करने के लिए महिलायें खास तैयारी करती हैं। यह प्रसाद त्योहार के तीसरे दिन से शुरू होने वाले त्योहार में बहुत महत्व रखता है। व्रती और उनके परिजन सूर्यादय से पूर्व स्नान कर प्रसाद रखने के लिए बांस के नए सूप और टोकरियों का इंतजाम करते हैं। चावल, गन्ना, ठेकुआ, पकवान, ताजे फल, सूखे मेवे, पेड़ा, मिठाई, गेहूं, गुड़, नारियल, घी, मखाना, नींबू, सेब, संतरा, इलायची, हरी अदरक और सूप में तरह-तरह के सात्विक खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं। ज्ञात हो कि सोमवार को सूर्योदय पर भी अर्घ्य दिया जाएगा। उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने छठव्रती तड़के ही घाट पहुंचने लगेंगे। इसके बाद सोमवार को फिर घाटों में लोगों की भीड़ लगेगी। इस दौरान उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे का कठिन व्रत टूटेगा।

 


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Content Writer

Mamta Yadav

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