आरक्षण खत्म करने की साजिश, मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस- भाजपा पर साधा निशाना

punjabkesari.in Saturday, Aug 10, 2024 - 02:10 PM (IST)

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्यों को अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण में उप-वर्गीकरण करने के फैसले को लेकर एक बार फिर राजधानी लखनऊ में प्रेसकॉन्फेंस की। उन्होंने इस दौरान भाजपा, कांग्रेस सपा पर जमकर हमला बोला।

संसद का विशेष सत्र बुलाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटे
मायावती ने कहा कि सभी पार्टियां चुनाव के दौरान संविधान और आरक्षण बचाने का दावा करती थी, लेकिन अभी तक किसी पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर अपना रुख साफ करें। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अनुसूचित जाति और जनजातियों के सांसदों को भरोसा दिया था कि क्रीमी लेयर लागू नहीं किया जाएगा। संसद  का सत्र समाप्त हो गया उसके बाद संविधान संशोधन बिल लाकर सुप्रीम के फैसले को सरकार ने नहीं पलटा। मायावती ने एससी/एसटी (अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति) के आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर कहा कि सरकार विशेष संसद सत्र बुलाए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तुरंत बदले बसपा इसका समर्थन करेगी,नहीं तो अनुसूचित जाति और जनजाति अपने अपने आप को ठगा महसूस करेगा। 

आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सरकार मजबूती से नहीं रखा अपना पक्ष 
गौरतलब है कि भाजपा सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और एससी व एसटी के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर चिंता व्यक्त की। मायावती ने एक अन्य पोस्ट में यह भी कहा, “लेकिन अच्छा होता कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष बहस में केन्द्र सरकार की तरफ से एटार्नी जनरल द्वारा आरक्षण को लेकर एससी व एसटी में क्रीमी लेयर लागू करना तथा इनका उप-वर्गीकरण किये जाने के पक्ष में दलील नहीं रखी गयी होती, तो शायद यह निर्णय नहीं आता।”

उच्चतम न्यायालय के फैसले से सहमत नहीं मायावती 
बसपा प्रमुख ने अपने सिलसिलेवार पोस्‍ट में आशंका जाहिर करते हुए कहा, “उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त 2024 के निर्णय को संविधान संशोधन के जरिए जब तक निष्प्रभावी नहीं किया जाता तब तक राज्य सरकारें अपनी राजनीति के तहत वहां इस निर्णय का इस्तेमाल करके एससी/एसटी वर्ग का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर को लागू कर सकती हैं। अतः संविधान संशोधन बिल इसी सत्र में लाया जाए।” उच्चतम न्यायालय ने एक अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण प्रदान किया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के ‘मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों' के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि ‘मर्जी' और ‘राजनीतिक लाभ' के आधार पर।


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Content Writer

Ramkesh

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