UP: भीषण गर्मी में कार्यकर्ता घर से नहीं निकल रहे हैं बाहर, दिहाड़ी मजदूरों के सहारे नेताओं का चुनाव प्रचार

punjabkesari.in Wednesday, Apr 10, 2024 - 12:39 PM (IST)

लखनऊ: लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व का शुभारंभ हो गया है। चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को मतदान होना है। उधर, इस साल अप्रैल में ही आसमान जून की तरह आग उगल रहा है। इधर लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज है, लेकिन भीषण गर्मी में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता घर से नहीं निकल रहे हैं। चुनाव में कार्यकर्ताओं ही पार्टी का स्तंभ होते हैं। जिसके बाद नेताओं का सहारा मनरेगा मजदूर बन रहे हैं। ये मजदूरी के पैसे लेकर नेताओं के लिए जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं तो बैनर पोस्टर और पर्ची भी बांट रहे हैं।

पार्टी की लाख मिन्नतें करने के बाद भी कार्यकर्ता चिलचिलाती धूप में घर से निकलने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे उम्मीदवारों का जन संपर्क अभियान ठंडा पड़ने लगा, तब सियासी दलों ने इसका एक विकल्प खोजा है। प्रयागराज में राजनीतिक दल दिहाड़ी और मनरेगा मजदूरों को चुनावी काम के लिए साथ रख रहे हैं। ये मजदूर जहां सभाओं में जिंदाबाद और विरोधियों के लिए मुर्दाबाद का नारा लगाते हैं तो वहीं बैनर पोस्टर लगाने, पंपलेट बांटने और नेताओं के साथ भीड़ के तौर पर चलने का भी काम कर रहे हैं। 

दिहाड़ी मजदूरों को मिलेंगे 480 रुपए 
रैपिड इवेंट मैनेजमेंट ग्रुप के सीईओ अरविंद मिश्रा बताते हैं कि दिहाड़ी और मनरेगा श्रमिकों तय दिहाड़ी से ज्यादा देने पर साथ आने के लिए तैयार हैं और पार्टियों को अपनी सेवाए दे रहे हैं। ये मजदूर नारेबाजी करने से लेकर पर्ची बांटने तक का काम कर रहे हैं। मनरेगा श्रमिकों को प्रतिदिन 475 रुपए और दिहाड़ी मजदूरों को 480 रुपए मिलता है। इसके साथ ही दो वक्त का खाना और चाय भी इन्हें दिया जा रहा है। इससे मनरेगा श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों की मौज है। भीषण गर्मी में दैनिक मजदूरी से ज्यादा पैसा और खाने पीने के साथ मजदूरी के मुकाबले नारे लगाने का काम मजदूरों को आसान लग रहा है। राजनीतिक दलों को मजदूर उपलब्ध कराने वाले ठेकेदार सुशांत शुक्ला कहते हैं सियासी दलों को भी ये पैकेज करीब 25 फीसदी तक सस्ता पड़ रहा है। 

प्रयागराज कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सुरेश यादव बताते हैं कि भीषण गर्मी से चुनाव ठंडा पड़ा है। गर्मी के चलते कार्यकर्ता घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। उनके मोबाइल बंद मिलते हैं। यही हाल समाजवादी पार्टी का भी है, जिसे नगरीय क्षेत्र के बाहर घर घर जन संपर्क में कार्यकर्ताओं के संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद इलेक्शन इवेंट मैनेजमेंट करने वाली कंपनियों ने मनरेगा मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरों को अपने साथ रख रहे हैं। 


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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