सावधान! त्यौहारी सीजन में कहीं मिठाई की शक्ल में जहर तो नहीं खरीद रहे आप लोग

punjabkesari.in Tuesday, Oct 18, 2022 - 10:12 AM (IST)

बागपत: त्यौहारों का सीजन शुरू होते ही खाद्य पदार्थों में मिलावट का दौर भी तेज हो चला है। गांव-गांव में दर्जनों ऐसे अवैध कारोबार फल-फूल रहे हैं, जहां पर धडल्ले से खानपान में बड़ी मात्रा में मिलावट की जा रही है। बाजार में बिकने वाले पनीर, मिठाई, दूध, रिफाइन आदि सभी मिलावटी आ रहे हैं। 

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खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा की जा रही जांच में यह बात स्पष्ट भी हो चुकी हैं कि लोगों को मीठा जहर परोसा जा रहा है। वैसे तो लम्बे समय से जनपद में नकली खाद्य पदार्थ बनाने का गौरखधंधा चल रहा है, लेकिन त्यौहारी सीजन आने पर इनके द्वारा बड़े पैमाने पर नकली दूध, घी, पनीर, मिठाई बनाने का काम तेज हो जाता है। यहां से नकली खाद्य पदार्थ तैयार कर प्रतिदिन टैंपुओं में भरकर पुलिस और प्रशासन की नाक तले दिल्ली, मेरठ, हरियाणा भेजा जाता है, लेकिन किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। 

गांव-गांव में नकली खाद्य पदार्थ बनाने की भट्टियां चल रही हैं, जिनमें लोगों के स्वास्थ्य को ताक पर रख कुंतलों की मात्रा में नकली दूध, पनीर, खोया, मिठाई तैयार हो रही हैं। प्रतिदिन दिल्ली से इन्हीं टैंपुओं में इन नकली खाद्य पदार्थ को तैयार करने का कच्चा माल वापस बागपत जनपद के विभिन्न गांवों में पहुंचता हैं। सिविल और यातायात पुलिस की आंखों के सामने से ये टैंपु गुजरते रहते हैं, लेकिन संरक्षण प्रदान होने के कारण इनपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

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आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह आदेश जारी कर चुके हैं कि खाद्य पदार्थों में मिलावट किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके बावजूद अधिकारियों पर सीएम के आदेश कोई असर नहीं कर रहे हैं। जनपद के अधिकांश गांव में खुलेआम नकली मावा, पनीर, मिठाई बनाने की भट्टियां चल रही हैं। खानापूर्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक-दो बार नमूने भी लिए जा चुके हैं जो जांच में फेल भी साबित हो चुके हैं, इसके बावजूद इस अवैध कारोबार को बंद नहीं कराया जा सका है।

PunjabKesariइन गांवों में बड़े पैमाने पर चल रही भट्टियां
लूम्ब, हेवा, रठौडा, मलकपुर, बड़ौली, ट्यौढी, शेरपुर लुहारा, झूंडपुर, धनौरा, ढिकाना, जोनमाना, कोताना, लुहारी, निवाड़ा, दाहा, भडल, दोघट, बामनौली, नांगल, गूंगाखेडी, बराल, रमाला, किरठल, जिवाना, रंछाड़ आदि।

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जानिए भट्टियों में कैसे करते हैं काम?
खाद्य सामान में चिकनाई लाने के लिए रिफाइंड ऑयल का प्रयोग किया जाता है। यह खराब न हो, इसके लिए हाइड्रोजन पराक्साइड डाला जाता है। खोया और मिठाई का वजन बढाने के लिए उसमें मैदा और आलू मिलाया जाता है। चना महंगा होने के चलते मैदे में रंग मिलाकर बाजार में उसे बेसन कहकर बेचा भी जाता है। इन अवैध भट्टियों पर तैयार होने वाले रसगुल्लों को दुकानदार यहां से 80 रुपये प्रति किलोग्राम खरीदते हैं और अपनी दुकानों पर 200 रुपये किलोग्राम के भाव तक बिक्री करते हैं। सिंथेटिक दूध से तैयार पनीर, खोया को भी कम दामों में खरीदकर कई गुना दामों में बिक्री किया जाता है।


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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