मौत को मात देती ममता: मर चुकी मां के गर्भ में पल रहा भ्रूण, 3 महीने बाद लेगा जन्म!
punjabkesari.in Tuesday, May 20, 2025 - 05:59 PM (IST)

UP Desk/Viral News: अमेरिकी राज्य जॉर्जिया के कड़े गर्भपात विरोधी कानूनों के चलते यहां एड्रियाना स्मिथ नामक एक 30 वर्षीय ‘ब्रेन-डेड’ प्रेग्नेंट महिला को 3 महीने तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है, ताकि उसके गर्भ में पल रहा भ्रूण जन्म लेने के लिए पर्याप्त रूप से विकसित हो सके। महिला को फरवरी महीने में मस्तिष्क मृत (ब्रेन-डेड) घोषित कर दिया गया था।
गर्भपात या लाइफ सपोर्ट सिस्टम को बंद करना गैरकानूनी
बता दें कि महिला का भ्रूण 21 सप्ताह का है और डॉक्टर चाहते हैं कि वह गर्भावस्था की पूरी अवधि (कम से कम 3 महीने और) पूरी करे, ताकि शिशु का जन्म संभव हो सके। एड्रियाना स्मिथ के परिवार का कहना है कि अस्पताल ने उन्हें बताया कि जब तक भ्रूण के दिल की धड़कन चालू है, तब तक जॉर्जिया कानून के तहत गर्भपात या लाइफ सपोर्ट सिस्टम को बंद करना गैरकानूनी है। राज्य के सख्त गर्भपात विरोधी कानून के तहत ऐसा करना आवश्यक है। महिला की डिलीवरी की नियत तारीख में अभी 3 महीने हैं और यह इस तरह के मामलों में सबसे लंबी प्रेग्नेंसी में से एक हो सकती है।
महिला के मस्तिष्क में पाए गए खून के थक्के
स्मिथ की मां एप्रिल न्यूकिर्क ने बताया कि उनकी बेटी को फरवरी में सिरदर्द के बाद अस्पताल ले जाया गया था, जहां जांच में मस्तिष्क में खून के थक्के पाए गए। बाद में डॉक्टरों ने उसे 'ब्रेन-डेड' घोषित कर दिया। एप्रिल न्यूकिर्क ने अटलांटा के टीवी चैनल WXIA से कहा, "मेरी बेटी अब कानूनी रूप से जीवित नहीं है, लेकिन मशीनें उसे जीवित दिखा रही हैं ताकि भ्रूण विकसित हो सके।" उन्होंने चिंता जताई कि डॉक्टरों के अनुसार भ्रूण के मस्तिष्क में तरल पदार्थ है और वह जन्म के बाद जीवित नहीं भी रह सकता।
'जन्म के बाद शायद जीवित न रह पाए भ्रूण'
न्यूकिर्क ने चैनल से कहा कि डॉक्टरों ने परिवार को बताया है कि भ्रूण के मस्तिष्क में तरल पदार्थ है और वे उसके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं। न्यूकिर्क ने कहा, ‘‘उसके गर्भ में मेरा नाती है। वह अंधा हो सकता है, विकलांग हो सकता है या जन्म के बाद मर सकता है।" हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या परिवार एड्रियाना को जीवन रक्षक प्रणाली से हटाना चाहता है।
“यह मामला नैतिक और चिकित्सकीय रूप से बेहद जटिल है”
फिलाडेल्फिया के थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी में मातृ-भ्रूण चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. विन्सेन्ज़ो बर्घेला ने कहा, “यह मामला नैतिक और चिकित्सकीय रूप से बेहद जटिल है।” यह उन चुनौतियों को उजागर करता है जो कड़े गर्भपात कानूनों और परिवार की इच्छा के बीच टकराव में उत्पन्न होती हैं।