पिता की पिटाई से आहत छात्रा का घर जाने से इनकार, 9 साल की बच्ची ने चाइल्ड हेल्पलाइन अधिकारियों को बताई आपबीती
punjabkesari.in Tuesday, Sep 12, 2023 - 08:47 AM (IST)

पीलीभीत: माता-पिता की गलती का खामियाजा अधिकतर बच्चों को भुगतना पड़ता है। एसा ही एक मामला पीलीभीत जिले से समाने आया है। जहां एक 9 साल की बच्ची दो दिन पहले सड़क पर रोती हुई मिली।बच्ची को महिला कल्याण समिति की विंग चाइल्ड हेल्पलाइन के सुपुर्द किया गया। पूछताछ के बाद छात्रा ने बताया कि पापा पिटाई करते हैं इसलिए वह घर नहीं जाना चाहती।
पिता बहुत मारते है, इसलिए वह घर नहीं जाना चाहती: छात्रा
रविवार को लेखराज चौराहा के पास एक छात्रा रोती हुई मिली। एक युवक पूछताछ के बाद उसे चाइल्ड लाइन संस्था के सुपुर्द कर दिया। उसे पहले वन स्टाप सेंटर में रखा गया। सोमवार को छात्रा की काउंसलिंग की गई। छात्रा ने बताया कि उसकी उम्र नौ साल है। घर के बारे में जानकारी ली गई तो परिवार के सदस्यों को बुलाया। वार्ता में पता चला कि उसकी माता-पिता की शादी 10 साल पहले हुई थी। शादी के बाद कुछ समय दिल्ली में रहते थे, जिसके बाद वह पीलीभीत में रहकर नौकरी करने लगे। अचानक छात्रा की मां बैग लेकर घर से चली गई। गुस्साए पिता ने छात्रा को पीटना शुरू कर दिया। इससे आहत छात्रा घर छोड़कर भाग आई। छात्रा को जब परिवार वालों के सुपुर्द करने की बात कही तो छात्रा ने साफ इनकार कर दिया। उसका कहना है कि पिता बहुत मारते है, इसलिए वह घर नहीं जाना चाहती है।
छात्रा को लखनऊ आश्रय गृह भेजा जाएगा: जिला प्रोबेशन अधिकारी
जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रगति गुप्ता ने बताया कि छात्रा की काउंसलिंग की गई है। उसने घर जाने से साफ इनकार कर दिया है। इसलिए छात्रा को लखनऊ आश्रय गृह भेजा जाएगा।
बच्चों की पिटाई करने के हो सकते हैं ये बुरे प्रभाव-
टूटता है भरोसा – बच्चों को बार बार पीटने से बच्चों का पेरेंट्स पर से ये विश्वास उठ जाता है की पेरेंट्स उन्हें अच्छे के लिए पीटते है बल्कि वो ये सोचते हैं ये उनकी आदत मात्र है। आगे चलकर बच्चों और पेरेंट्स का रिश्ता भी कमजोर होने लगता है।
आत्मविश्वास में आती है कमी – बार बार बच्चों की पिटाई करने से बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है और वो दूसरे बच्चों से तुलना कर डिप्रेशन का शिकार होने लगता है।
पिटाई ही हर समस्या का हल है – बच्चों को बात बात में पीटने से बच्चे भी इसे एक सीख बना लेते हैं की हर समस्या का हल सिर्फ पिटाई ही है और आगे जाकर वो काफी हिंसक बन सकते हैं।
निर्णय लेने में कमजोर हो जाते हैं – बच्चों को बार बार पीटने से उनमे मानसिक कमजोरी आ जाती है और वो निर्णय लेने में कमजोर हो जाते हैं। आगे जाकर ऐसे बच्चों को सीरियस मेन्टल डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है।
अपनी समस्या शेयर करने से डरते हैं – बच्चों के मन में ये डर बैठ जाता है की पेरेंट्स से अपनी कोई बात कहेंगे या अपनी समस्या को शेयर करेंगे तो पेरेंट्स उन्हें मारेंगे इस डर से वो पेरेंट्स से खुल कर बात नहीं कर पाते और आगे चलकर रिश्तों में दूरियां बढ़ जाती है।
आदर ना करना – आदतन ऐसा होता है की हम उसी का आदर करते हैं जो हमें समझता है और प्यार करता है लेकिन बात बात पर पेरेंट्स द्वारा मार खाने की आदत से आगे चलकर बच्चे पेरेंट्स का आदर नहीं करते और रिश्तों में दूरियां आने लगती हैं।
डर के कारण कुछ सीख नहीं पाते बच्चे – मनोवैज्ञानिकों का ऐसा मानना है की बच्चों की ज्यादा पिटाई के कारण बच्चों में एक डर बैठ जाता है और उस स्थिति में बच्चों को आप अगर कुछ सिखाना भी चाहेंगे तो वो नहीं सीख पाता बल्कि और ज्यादा पिछड़ता जाता है।
बड़ों को ही मारने का हक़ है – बार बार पिटाई होने से बच्चे ये सीखते हैं की बड़ों को ही मारने का हक़ होता है और आगे चलकर वो अपने से छोटों पर भी यही आजमाते हैं और उन्हें मारते हैं।
झूठ बोलना सीखते हैं – बच्चों के मन में ये डर बैठ जाता है की कोई भी बात पेरेंट्स से शेयर करेंगे तो वो परेशानी समझने की जगह उन्हें पीटने लगेंगे इस वजह से बच्चे झूठ बोलने लगते हैं और आगे चलकर बच्चों और पेरेंट्स के बीच संवादहीनता (कम्युनिकेशन गेप) बढ़ने लगती है।
जो ताकतवर है वो ही सही है – बच्चे पिटाई से यही सीख लेते हैं की जो ताकतवर है वही सही है और इसका नतीजा ये होता है की बड़े होकर बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ भी ऐसा ही बर्ताव करते हैं।