Jhansi News: जान जोखिम में डालकर नौनिहाल प्राप्त कर रहे हैं शिक्षा, नाव से नदी पार करते समय लगता है डर

punjabkesari.in Sunday, Jul 23, 2023 - 09:06 AM (IST)

(शहजाद खान)Jhansi News: डर लगता है पर पढ़ाई जरूरी है। ऐसी ही एक तस्वीर झांसी जिले के मऊरानीपुर तहसील से देखने को मिली। जहां स्कूल जाने के लिए जान जोखिम में डाल रहे बुढ़ाई गांव के छात्र-छात्राएं। नाव से पार करते हैं पहले नदी फिर कहीं जाकर मिलती है शिक्षा। बता दें कि झांसी जिले में इन दिनों बारिश होने से बांध नदियां तालाब का जलस्तर बढ़ गया है। खासतौर से बेतवा नदी और छोटी नदियां बांधों से छोड़े जाने वाले पानी के चलते डरावने अंदाज में बह रही है। पानी के सैलाब की परवाह किए बिना जिले के कई ऐसे इलाके ऐसे हैं जहां माता पिता अपने बच्चों को पढ़ने के लिए संकरी नाव का सहारा लेकर अपने बच्चों की जान जोखिम में डालकर उन्हें विद्यालय भेजने को मजबूर हैं।

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गांव से विद्यालय जाने के लिए मात्र एक रास्ता है और उस पर पानी चल रहा
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मऊरानीपुर तहसील के बुढ़ाई गांव में कुछ इस तरह की बेबसी,लाचारी बच्चों के माता-पिता में दिखी। बुढ़ाई गांव के रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि गांव से विद्यालय जाने के लिए मात्र एक रास्ता है और उस पर पानी चल रहा है। ऐसे में जिला प्रशासन के स्तर से एक सकरी सी नाव ग्रामीणों को मुहैया करा दी गई है। इसके साथ ही 5 हजार रुपए महीने पर एक नाव पर एक नाविक को भी तैनात कर दिया गया है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि इतनी छोटी नाव में बैठने वाले स्कूली बच्चों के डूबने का खतरा हमेशा बना रहता है और कुछ दिन पहले सकरी नाव गहरे तालाब में डूब भी गई थी। गनीमत रही कि ग्रामीणों ने समय रहते लोगों को डूबने से बचा लिया।

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विद्यालय तक जाने के लिए एक छोटी नाव ही अंतिम और आखिरी सहारा
वहीं मजबूरी में नाव में बैठकर पढ़ने के लिए जान जोखिम में डालने वाली नौनिहालों का कहना है कि उनके विद्यालय तक जाने के लिए एक छोटी नाव ही अंतिम और आखिरी सहारा है। जिसमें बैठना किसी बड़े जोखिम से कम नहीं है। छोटी नाव से स्कूल जाने और स्कूल से वापस घर जाते समय बहुत डर लगता है कि कहीं नाव पलट ना जाए। वहीं इस गांव के प्रधान का कहना है कि पिछले कई दशक से इस गांव में हर साल मानसून के सीजन में पानी गांव को घेर लेता है, जिसके चलते गांव के पास बने तालाब और आसपास की नदियां उफान पर आ जाती है। जिसमें गांव से बाहर निकलने के लिए यही रास्ता बचता है। 


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Content Editor

Anil Kapoor

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