बिहार चुनाव नतीजों पर मायावती ने की समीक्षा बैठक, कहा- वोटरों को प्रभावित करने के लिए सरकारें कर रहीं सरकारी धन का उपयोग
punjabkesari.in Wednesday, Nov 19, 2025 - 05:17 PM (IST)
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बुधवार को आश्चर्य व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि सरकारें अब मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल कर रही हैं। बसपा द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं से प्रदेश में मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान सतर्क रहने का भी आग्रह किया।
बिहार विधानसभा चुनाव से सबक लेने की जरूरत
मायावती ने कहा, "बिहार विधानसभा चुनाव के आश्चर्यजनक परिणामों से सबक लेने की ज़रूरत है। पहले, सत्तारूढ़ दल चुनावों को प्रभावित करने के लिए धनबल का इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब सरकारें जनता के धन के ज़रिए जनमत को प्रभावित कर रही हैं। नतीजतन, चुनाव जीतने की चुनौती कई गुना बढ़ गई है।" उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया पर "गंभीर रूप से ध्यान" देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र मतदाता अपने संवैधानिक मताधिकार से वंचित न रहे।
मायावती ने पार्टी जनाधार बढ़ाने का दिया निर्देश
बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने 243 में से 202 सीटें जीतकर शानदार जीत हासिल की। 192 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बसपा केवल एक सीट ही जीत पाई। मायावती ने महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और झारखंड में पार्टी की संगठनात्मक स्थिति की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने पार्टी के ढांचे को मज़बूत करने और विभिन्न समुदायों में पार्टी का जनाधार बढ़ाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने राज्य इकाइयों से कमियों को दूर करने और बी.आर. आंबेडकर और कांशीराम के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए नई प्रतिबद्धता के साथ काम करने का आग्रह किया। मायावती ने कहा कि आत्मसम्मान और समानता पर आधारित एक मज़बूत आंदोलन जनहित और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए ज़रूरी है।
सामाजिक न्याय की विचारधारा ही स्थायी राहत
बसपा प्रमुख ने कहा कि पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों में दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ा वर्गों, अल्पसंख्यकों और गरीबों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति उत्तर प्रदेश और बिहार जितनी ही चिंताजनक है। उन्होंने इन समुदायों को हाशिए पर धकेलने के लिए "जातिवादी और गरीब-विरोधी शासन" को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि आरक्षण के लाभों को "मात्र औपचारिकता" तक सीमित कर दिया गया है। महाराष्ट्र इकाई की समीक्षा के दौरान, सदस्यों ने किसानों और हाशिए पर पड़े समूहों की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई। मायावती ने कहा कि केवल आंबेडकर की समानता और सामाजिक न्याय की विचारधारा ही स्थायी राहत प्रदान कर सकती है।
आंबेडकर की पुण्यतिथि को "मिशनरी भावना से मनाने के निर्देश
उन्होंने बहुजन समुदाय के हितों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष का आह्वान किया। उन्होंने पिछले नौ अक्टूबर को लखनऊ में कांशीराम की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में इन राज्यों से सैकड़ों पदाधिकारियों की भारी उपस्थिति की सराहना की और उनसे राज्य स्तर पर पार्टी को मजबूत करने में इसी तरह का समर्पण बनाए रखने का आग्रह किया। मायावती ने राज्य इकाइयों को छह दिसंबर को आंबेडकर की पुण्यतिथि को "मिशनरी भावना" से मनाने का भी निर्देश दिया।

