जनसंख्या दिवस विशेषः नसबंदी से दूर भाग रहे पुरुष, फैमिली प्लानिंग महिलाओं के भरोसे

punjabkesari.in Tuesday, Jul 11, 2023 - 05:53 PM (IST)

लखनऊ: परिवार नियोजन को लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार जागरूकता अभियान चलाता है। इसकी जिम्मेदारी ज्यादातर आशा कार्यकर्ताओं को दी गई है। इस अभियान में हर साल करीब दो हजार कार्यकर्ता घर-घर जाकर जागरूक करते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी काउंसलिंग की जाती है। इसका नतीजा जहां महिलाओं में सकारात्मक दिखता है, वहीं पुरुषों में इसका उलट है। इस वर्ष 2022-23 के आंकड़ों में स्वास्थ्य विभाग पिछले साल 2021-22 के भी आंकड़े को नहीं छू पाया है, हलांकि महिलाओं में नसबंदी कराने का आंकड़ा बढ़ा है, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए राहत देने वाला है।

पुरुष नसबंदी के बाद किसी भी तरह की शारीरिक या यौन कमजोरी नहीं आतीः मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल
इसको लेकर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है कि पुरुष नसबंदी के बाद किसी भी तरह की शारीरिक या यौन कमजोरी नहीं आती है। यह पूरी तरह सुरक्षित और आसान है। लेकिन अधिकांश पुरुष- अभी भी इसे अपनाने में हिचक रहे हैं क्योंकि कहीं ना कहीं समुदाय में अभी भी पुरुष नसबंदी से संबंधित जानकारी का अभाव है। वहीं, महिलाओं में नसबंदी की प्रक्रिया पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा जटिल होती है। इसके अलावा पुरुष नसबंदी से न तो शारीरिक कमजोरी आती है और न ही संक्रमण का डर रहता है। इसके लिए बहुत सामान्य सा आपरेशन है जिसमें आधे घंटे से भी कम का समय लगता है। यहा तक कि लाभार्थी को अस्पताल में रहने की जरूरत भी नहीं पड़ती तथा वह आपरेशन द्वारा के आधे घंटे के बाद अपने घर भी जा सकते हैं। उनमें किसी भी प्रकार के शारीरिक बदलाव या दिनचर्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और न ही नसबंदी से भविष्य में किसी तरह की स्वास्थ्यजनित समस्या होती है। पुरुष नसबंदी को लेकर पुरुषों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है और यह समझना है कि परिवार नियोजन अकेले पत्नी की जिम्मेदारी नहीं है।

 पुरुष नसबंदी के लिए योग्यता:
पुरुष नसबंदी परिवार नियोजन के लिए पुरुषों द्वारा अपनाया जाने वाला एकमात्र स्थायी साधन है। इसलिए यह जरूरी है कि नसबंदी के समय लाभार्थी की उम्र 22 वर्ष से कम या 60 वर्ष से ज्यादा नहीं हो। लाभार्थी शादीशुदा हो। लाभार्थी कम से कम एक बच्चे का पिता हो और मानसिक रूप से स्वस्थ हो।

भ्रांतियां बनीं रुकावटः
आमतौर पर पुरुष सोचते हैं कि नसबंदी के बाद सेक्स में कमी आती है, जबकि उनका यह भी मानना है कि इससे वह शारीरिक रूप से भी कमजोर हो जाते हैं और मेहनत का काम नहीं कर सकते। सीएमओ मनोज मनोज अग्रवाल ने बताया कि पुरुषों में यह भ्रांति गलत है। नसबंदी से शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और नसबंदी करना आसान है। सीएमओ के मुताबिक परिवार नियोजन के लिए 27 जुलाई तक जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।

 काउंसलिंग न होना भी समस्याः
जानकारों का कहना है कि महिलाओं को नसबंदी के लिए प्रेरित करने हेतु सरकारी अस्पताल में महिला डॉक्टर व अलग से महिला काउंसलर होती हैं। इससे महिलाएं आसानी से राजी हो जाती हैं। वहीं, पुरुषों के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था नहीं है। लोगों का मानना है कि इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कैंप लगाने चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र में इसकी अधिक जरूरत है। आज भी ग्रामीण क्षेत्र में पुरुष हो या महिलाओं में नसबंदी कराने का आंकड़ा शहर की अपेक्षा बहुत कम है।


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Content Writer

Ajay kumar

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