अलग रह रही पत्नी के जीवन के लिए भरण-पोषण की न्यूनतम राशि आवश्यकः हाईकोर्ट

punjabkesari.in Thursday, Aug 31, 2023 - 08:17 AM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अलग रह रही पत्नी को उसके जीवन और स्वतंत्रता को गरिमापूर्ण बनाए रखने के लिए दावे की तारीख से न्यूनतम राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार (चतुर्थ) की खंडपीठ ने भरण-पोषण पर फैमिली कोर्ट द्वारा पारित फैसले के खिलाफ दाखिल प्रथम अपील पर दिया है।

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फैमिली कोर्ट, मथुरा ने सुनाया था ये फैसला
फैमिली कोर्ट, मथुरा ने अपने आदेश में पत्नी और बच्चों को दिए गए 7000 रुपए के अंतरिम भरण-पोषण को बरकरार रखने के लिए कहा था। दरअसल पुष्पेंद्र सिंह (पति/अपीलकर्ता) और श्रीमती सीमा (पत्नी) की तीन संतानें हैं। पत्नी ने फैमिली कोर्ट के समक्ष हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 के तहत एक आवेदन दाखिल किया था, जिसके सापेक्ष फैमिली कोर्ट ने पत्नी और तीन बच्चों के जीवन और सम्मान को बनाए रखने के लिए 7000 प्रति माह का भरण पोषण तथा पत्नी को एक मुश्त कानूनी खर्च के लिए 10,000 रुपए देने का आदेश दिया था।

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पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में दी थी चुनौती
पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए तर्क दिया कि अंतरिम गुजारा भत्ता बहुत ज्यादा है। इसके साथ ही उसने अपनी पत्नी पर अपने सगे भाई के साथ संबंध होने का आरोप लगाया। इस पर अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता दिसंबर 2014 से केंद्रीय अर्ध सैनिक बल में कार्यरत है और उसे 40,032 रुपए मासिक वेतन प्राप्त होता है। भाई के साथ व्यभिचार अंतरिम भरण-पोषण के आदेश को चुनौती देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है, क्योंकि बच्चे पति के हैं।


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Content Writer

Ajay kumar

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