हर किसी के पास बताने के लिए एक कहानी…आम लोगों के साथ व्यक्तिगत संबंधों की विरासत थे मुलायम सिंह

punjabkesari.in Tuesday, Oct 11, 2022 - 09:40 PM (IST)

इटावा/सैफई: रिश्तों को खास अहमियत देने का जज्बा रखने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार में उमड़ी भारी भीड़ समाजवादी नेता का उनसे जुड़ाव का प्रत्यक्ष प्रमाण है। लगभग हर किसी के पास बताने के लिए एक कहानी थी कि कैसे उनका पहली बार 'नेताजी' से परिचय हुआ, या भारतीय राजनीति में ऊंचा मकाम रखने के बावजूद वह कितने विनम्र और सुलभ थे। कुछ लोगों ने याद किया कि कैसे एक मुख्यमंत्री के रूप में यादव ने खुले मैदान में अपने मवेशियों को चराने वाले ग्रामीणों के साथ बातचीत करने के लिए अपनी कार रोकी थी, जबकि कई अन्य लोगों ने बुंदेलखंड में लड़कियों के लिए इंटर कॉलेज बनवाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया था।
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सैफई के पास स्थित गांव चौबेपुर के निवासी जनक सिंह (80) ने कहा कि वह यादव को उनके शुरुआती दिनों से जानते थे। सिंह ने बताया कि उन्हें कुश्ती का शौक था और साथ ही उन्होंने उनके साथ होली समारोहों की मेजबानी करने का भी आनंद लिया। हजारों अन्य लोगों के साथ अंतिम दर्शन करने के लिए मेला मैदान में खड़े सिंह ने एक चैनल से वार्ता के दौरान कहा, ''उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री बनने के बाद भी नेताजी के व्यवहार और अपनेपन में कोई बदलाव नहीं आया था।'' एक अन्य ग्रामीण नरेश सिंह यादव ने याद किया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाले जालौन जिले के कुठौंद प्रखंड को 'नेताजी' ने लड़कियों के लिए पहला इंटर कॉलेज दिया था।
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उन्होंने कहा, "यह 1989 में उनके पहली बार मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद हुआ था। तब तक, कई लड़कियां कक्षा पांच के बाद स्कूल छोड़ देती थीं।" नरेश ने शिक्षा के प्रति यादव की संवेदनशीलता का श्रेय पूर्णकालिक रूप से राजनीति में आने से पहले उनके एक स्कूल शिक्षक होने को दिया। नरेश के बड़े भाई तेज सिंह यादव (55) ने कहा कि जब उनका मुलायम सिंह यादव से पहली बार परिचय हुआ तब वह बच्चे थे। उस वक्त यादव चौधरी चरण सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री) के साथ जालौन आए थे।
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इटावा के मूल निवासी मनोज मिश्रा ने कहा कि यादव एक जमीनी नेता थे। उन्होंने यादव की सादगी की प्रशंसा करते हुए कहा, " नेताजी दो दशक पहले मेरी शादी में आए थे। उन्हें रसगुल्ला नहीं मिला तो मुझसे पूछा 'गुड्डू रसगुल्ला नहीं बनवाये'? मैंने तुरंत उन्हें अपनी थाली में से एक रसगुल्ला उन्हें दिया जो उन्होंने खुशी से खाया।'' पास के बकेवर तहसील के जनवेद सिंह यादव ने कहा कि लोगों को उनके नाम से याद रखने, उनके लिए उपलब्ध रहने के हुनर और तेज याददाश्त ने सपा संस्थापक को 'जन नेता' बना दिया। उन्होंने कहा, "उनकी सादगी और विनम्रता बेजोड़ थी। भारतीय राजनीति में अब उनके जैसा कोई नहीं बचा, उनके जैसे समाजवादी की तो बात ही छोड़िए।"
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यादव ने यह भी कहा कि 'नेताजी' राजधानी लखनऊ के बजाय इटावा, मैनपुरी और आसपास के क्षेत्रों के लोगों से सैफई में ही मिलना पसंद करते थे। जनवेद यादव ने याद करते हुए कहा, "वह कहते थे कि जब मैं सैफई, इटावा आता रहता हूं तो लखनऊ क्यों जाना। मुझसे यहां कभी भी मिलें। अन्य जगहों के लोगों को लखनऊ में मिलने दें।" मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में सोमवार को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार इटावा जिले के उनके पैतृक गांव सैफई में किया गया। उनके ज्येष्ठ पुत्र सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने व्यापक जन सैलाब के बीच उन्हें मुखाग्नि दी।


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Content Writer

Mamta Yadav

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