शौर्य और पराक्रम के बिना शांति और सौहार्द संभव नहीं: योगी
punjabkesari.in Wednesday, Aug 24, 2022 - 07:37 PM (IST)

रायबरेली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि शांति और सौहार्द बिना शौर्य और पराक्रम संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि आज जब हमने आजादी के शताब्दी वर्ष में भारत को समृद्ध और सशक्त देश के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है तो यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह सकारात्मक सोच के साथ अपनी क्षमता और प्रतिभा का देशहित में योगदान करे। उन्होंने कहा कि प्रथम स्वाधीनता संग्राम के समय जिस तरह पूरा देश एकजुट होकर सामने आया था, एक बार फिर उसी एकजुटता की जरूरत है। वह बुधवार को 1857 की लड़ाई के अमर नायक राना बेनीमाधव बख्श सिंह की 218वीं जयंती पर यहां आयोजित भाव समर्पण कार्यक्रम में जनता को संबोधित कर रहे थे।
अवध केसरी' के नाम से विख्यात राना बेनीमाधव बख्श सिंह की वीरता और शौर्य को नमन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राना बेनीमाधव जी ने देश को पूर्ण आजादी मिलने से 90 वर्ष पहले ही पूरे अवध को आजादी का अहसास करा दिया था। चुनौतियों का सामना करने के लिए सामाजिक एकजुटता का महत्व बताते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि 1857 से पहले भी स्वतन्त्रता की लड़ाई चल रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘ महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, गुरु गोबिंद सिंह जैसे महापुरुषों ने भी विदेशी आक्रांताओं के विरुद्ध युद्ध किया, लेकिन 1857 में यह लड़ाई संगठित होकर आगे बढ़ी। मंगल पांडेय, रानी लक्ष्मीबाई तात्या टोपे, जैसे नायकों ने अलग-अलग क्षेत्रों से एकजुट होकर स्वाधीनता आंदोलन की निर्णायक लड़ाई को शुरू किया।
अवध में वीरा पासी जी और राना बेनीमाधव जी ने ब्रितानी हुकूमत के विरुद्ध स्वाधीनता की जो अलख जगाई थी, वह जनांदोलन के रूप में 1922 में चौरीचौरा आंदोलन, 1925 में काकोरी कांड से होते हुए 1947 में स्वतंत्रता के लक्ष्य की प्राप्ति तक पहुंची।'' मुख्यमंत्री योगी ने आजादी के अमृत काल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'पंचप्रण' से जुड़ने का आह्वान भी किया। आजादी के गुमनाम नायकों को सम्मान दिलाने की अपनी मुहिम से आमजन को जोड़ते हुए मुख्यमंत्री ने शिक्षण संस्थानों को इस विषय पर व्यापक शोध-अध्ययन करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा , ‘‘ हमें अपनी लोककथाओं, लोकगीतों की ओर लौटना होगा, हमारे नायकों की स्मृतियां अब भी उनमें जीवित हैं।'