''सलीम'' को बेच दो प्लॉट नहीं तो बुलडोजर चल जाएगा...लखनऊ पुलिस पर लगा ''जमीन दलाली'' का आरोप, हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश; जानें पूरा मामला
punjabkesari.in Wednesday, Sep 10, 2025 - 02:20 PM (IST)

लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लखनऊ पुलिस आयुक्त को गोमती नगर थाने के कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा जमीन कब्जाने और जमीन मालिक को धमकाने के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने एक पुलिसकर्मी की पत्नी के नाम पर हुए बैनामे की भी जांच करने को कहा है। इसने गोमती पुलिस उपायुक्त को व्यक्तिगत हलफनामे के साथ जांच रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
24 सितंबर को अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने अरविंद कुमार शर्मा की याचिका पर पारित किया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अविरल जायसवाल ने बताया कि याची ने खरगापुर में कुल 2,250 वर्ग फुट जमीन 2004 और 2008 में खरीदी थी। सलीम नाम का एक व्यक्ति याचिकाकर्ता को 2018 से उस जमीन से बेदखल करने की कोशिश कर रहा है, जिसकी शिकायत याचिकाकर्ता ने उच्च अधिकारियों से की थी।
तफ्सील से जानें पूरा मामला
दो नवंबर 2020 को जब कुछ लोग जमीन पर कब्जा करने आए, तो याचिकाकर्ता के बेटे ने पुलिस को बुलाया। लेकिन खरगापुर चौकी के प्रभारी ने उल्टा याचिकाकर्ता और उनके बेटे पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वे जमीन उन लोगों को बेच दें जो उन्हें बेदखल करना चाहते हैं। इस दौरान गोमती नगर थाने के मालखाना के तत्कालीन प्रभारी अवधेश सिंह ने याचिकाकर्ता के बेटे को धमकी दी कि या तो वह जमीन उन्हें बेच दे, वरना उसने जो निर्माण किया है उसे बुलडोजर से गिरा दिया जाएगा।
पुलिसकर्मी लगातार याचिकाकर्ता को जमीन से बेदखल करने की कर रहे कोशिश
गोमती नगर थाने के ही एक अन्य दरोगा अरविंद पंत पर भी याची के बेटे को धमकाने का आरोप है। इसमें कहा गया कि धमकियों के बावजूद, जब याचिकाकर्ता अपनी जमीन बेचने के लिए तैयार नहीं हुआ, तो सलीम के पिता मोहम्मद हनीफ ने मालखाना प्रभारी अवधेश सिंह की पत्नी उर्मिला सिंह के नाम एक बैनामा किया। इस बैनामे में याचिकाकर्ता की जमीन की सीमाएं भी अंकित की गईं। आरोप है कि अब स्थानीय पुलिस और उक्त पुलिसकर्मी लगातार याचिकाकर्ता को जमीन से बेदखल करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि शिकायत के बावजूद पुलिस आयुक्त और जिला मजिस्ट्रेट ने कोई कार्रवाई नहीं की। यही नहीं, मामले को दीवानी विवाद मानते हुए, लखनऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने भी याची के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।