प्रयागराज में प्रदूषण से कराह रही है मोक्षदायिनी गंगा

punjabkesari.in Thursday, Jun 28, 2018 - 02:40 PM (IST)

इलाहाबादः नदी संरक्षण के लिये संवेदनशील नजरिया प्रदर्शित करने वाली नरेन्द्र मोदी सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद संगम नगरी इलाहाबाद में प्रदूषण की मार से कराह रही करोड़ों लोगों की आस्था की प्रतीक मोक्षदायिनी गंगा नाले की शक्ल तब्दील होती जा रही है।

पर्यावरणविदों का मानना है कि जेठ के महीने में गंगा का जलस्तर कम होता है लेकिन इतनी बदतर स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई है। गंगा का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। अगर संगम को छोड़ दिया जाए तो शहर के दूसरे घाटों पर आम शहरी पैदल ही गंगा (प्रयाग) पार जा सकते हैं। मोक्षदायिनी गंगा के जलस्तर में लगातार कमी के चलते जगह-जगह रेत के टीले दिखने लगे हैं। गंगा की धारा सिकुड़ कर पगडंड़ी में तब्दील हो गई है जिससे श्रद्धालुओं और गंगा किनारे बैठे पंडो में आजीविका को लेकर बेचैनी बढ़ गई है। 

गंगा पुत्र घटिया संघ के महामंत्री आनंद द्विवेदी ने कहा कि उत्तराखंड में जगह-जगह बने बांधों के कारण अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही गंगा की हालत दिनों-दिन खराब होती जा रही है। जगह जगह बांध बनाकर गंगा के पानी को नहरों और अन्यत्र मोड़ दिया जा रहा है। जिससे गंगा में लगातार पानी घटता जा रहा है। पहाडी क्षेत्र से जैसे गंगा मैदानी क्षेत्र में बहती है, गंदे नालों, टेनरीज और कल कारखानों से निकलने वाले अवशोषित जल गंगा के पानी में मिलकर उसे प्रदूषित कर रहा है। 

द्विवेदी (55) ने बताया कि करीब दो दशक बाद आज गंगा के पानी में करीब 8 से 10 फिट कमी आई है। गत वर्ष की तुलना में यहां दो से 3 फिट पानी किनारों पर कम हुआ है। दिनों-दिन गंगा का जलस्तर घटता जा रहा है। गंगा में इस समय जगह जगह रेत के टीले निकल आए हैं। देवप्रयाग से ऋषिकेष तक गंगा का जल शुद्ध है। ऋषिकेष से हरिद्वार तक स्थिति सामान्य है, लेकिन इसके आगे शुद्धता नगण्य है। 

महामंत्री ने बताया कि गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार चिंतित है। गंगा की अविरलता के लिए नमामि गंगे के तहत काम भी चल रहा है इसके बाद भी गंगा पानी की कमी के कारण किनारा छोडऩे लगी हैं और जगह- जगह रेत की चादर दिख रही है। गंगा को मानवों की स्वार्थ लोलुपता ने इतना मलिन कर दिया है कि उसका जल अब आचमन एवं स्नान के लायक नहीं रह गया। गंगा का प्रदूषण होना एक प्रदूषित राजनीति का ही परिणाम है, जिसमें दावे तो होते हैं, लेकिन काम करने की नीयत साफ नहीं होती। लाखों लोगों की प्यास बुझाने वाली गंगा मानों अपने पुनरुद्धार की प्यास लिए प्रतीक्षारत है।  

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद में 34 गंदे नालों के पानी के कारण गंगा अपनी बदहाली पर आसूं बहा रही है। द्विवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडऩे के समय कहा था, न तो मैं आया हूं और न ही मुझे भेजा गया है। दरअसल, मुझे तो मां गंगा ने यहां बुलाया है। यहां आकर मैं वैसी ही अनुभूति कर रहा हूं, जैसे एक बालक अपनी मां की गोद में करता है।

मोदी ने बनारस के लोगों को भरोसा दिलाया था कि वे गंगा को साबरमती से भी बेहतर बनाएंगे। लेकिन चार साल बीतने के बाद भी गंगा अपनी बदहाली के आंसू बहा रही है।लोगों को मोक्ष दिलाने वाली गंगा का पानी प्रदूषण के कारण काला पड़ रहा है। गंगा में प्रदूषण का प्रमुख कारण टैनरीज, रसायन संयंत्र, डिस्टिलरी, बूचडख़ानों और अस्पतालों का अपशिष्ट गंगा के प्रदूषण के स्तर को और बढ़ा रहा है। 

गंगा के जल में आर्सेनिक, ब्लोराइड एवं क्रोमियम जैसे जहरीले तत्व भी बड़ी मात्रा में मिलने लगे हैं। गंगा में लगातार गिर रहे सीवर के पानी के अलावा कल कारखानों के केमिकल और हैवी मेटल के चलते गंगा में कार्बनिक लोड बढ़ता जा रहा है। इससे गंगा में हानिकारक बैक्टीरिया पैदा हो रहे हैं।


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Tamanna Bhardwaj

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