''शहजादी'' के माता-पिता ने 'पीएम मोदी से की अपील- अगर हमारी बेटी को फांसी नहीं हुई है तो फांसी को तत्काल रुकवाएं, वो बेकसूर है'
punjabkesari.in Sunday, Feb 16, 2025 - 08:30 PM (IST)
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बांदा: दुबई के अबू धाबी की अलबदावा जेल में कैद यूपी के बांदा की निवासी शहजादी की फांसी का वक्त मुकर्रर और माता- पिता से बेटी की हुई बात के बाद से परिजनों को रो- रोकर बुरा हाल है। पीड़ित माता ने एक फिर पीएम मोदी से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा कि मेरी बेटी की अगर फांसी की सजा नहीं हुई है तो उसे तुरंत रुकवा दीजिए क्योंकि वह बेकसूर है। हालांकि अबू धाबी की कोर्ट से सजा-ऐ-मौत पा चुकी शहजादी को फांसी पर लटकाए जाने से पहले उसकी आखिरी इच्छा को जेल प्रशासन पूछा और उसकी आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए परिजनों से बात कराई है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो उसे 24 घंटे के अन्दर उसे कभी भी फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा। सजा-ऐ मौत की खबर सुनते ही पूरे गांव में शोक व्याप्त है वहीं घर वालों का रो- रोकर बुरा हाल है।
अबू धाबी के जेल प्रशासन ने शहजादी की आखिरी बार फोन पर उसके परिजनों से बात कराई जिसमें शहजादी ने घर वालों को दिलासा देते हुए बताया कि यह उसकी आखिरी कॉल है। उसने अपने पिता से बात करते हुए कहा कि अब्बू अब मुझे कभी भी फांसी की सजा हो सकती है। यह सुनते ही पिता फूट- फूटकर रोने लगा। इस दौरान शहजादी ने पिता से अपील करते हुए कहा कि उसके विरोधियों के खिलाफ बांदा में जो मुकदमा दर्ज कराया गया है उसको वापस लेना।
पीड़िता को अबू धाबी में एक दंपति के हाथों बेचने का आरोप
आपको बता दें कि सन् 2021 मे बांदा के मटौंध थाना क्षेत्र के गांव गोयरा मुगली की रहने वाली शहजादी को अबू धाबी भेजा गया था। शहजादी को अबू धाबी भेजने में आगरा के निवासी उजैर का पूरा किरदार बताया जाता है जिसने शहजादी को लक्जरी लाइफ का लालच देकर वहां पर आगरा के ही रहने वाले एक दंपति के हाथों बेच दिया था।
मानव तस्करी के आरोप में बांदा में केस हुआ था दर्ज
जिस पर बांदा सीजेएम कोर्ट के आदेश पर दुबई में रह रहे आगरा के दंपति और आरोप उजैर के खिलाफ मानव तस्करी का मुकदमा भी दर्ज किया जा चुका है। अबू धाबी में इस दंपति के बेटे की देखरेख शहजादी करती थी और अचानक एक दिन उस बच्चों की मौत हो गई। जिस पर दंपति ने शहजादी के ऊपर बच्चे की मौत का आरोप लगाया था जिस पर अबू धाबी की कोर्ट ने जांच के बाद शहजादी को गिरफ्तार कर उसे सजा-ऐ-मौत सुनाई थी। पीड़िता के पिता शब्बीर खान ने जिला प्रशासन शासन और सरकार को फरियाद भेजी थी और इस मामले में बेटी को बचाने की अपील की थी। लेकिन उसे बचाने में वह लोग असफल रहे जिससे उसे मौत की सजा सुना दी गई।
सोशल मीडिया के माध्यम से आगरा के युवक से हुई थी पहचान
पीड़िता शहजादी जब छोटी थी तभी किचन में काम करते समय आग से बुरी तरह से झुलस गई थी जिससे वह परेशान रहती थी और 2020 में सोशल मीडिया के माध्यम से उसकी जान पहचान आगरा में रहने वाले उजैर नाम के व्यक्ति से हुई थी जिससे उसकी नजदीकियां बढ़ती रही और 2021 में उजैर शहजादी के चेहरे का इलाज करने का बहाना बनाकर उसको अपने साथ आगरा ले गया था।
चार माह के बच्चे की हत्या का लगा था आरोप
उसके बाद कथित उजैर ने उसको लग्जरी लाइफ जीने का लालच देकर अपने साथ अबू धाबी ले गया। जहां उसने अपने रिश्तेदार दंपति फैज और नादिया के हवाले कर दिया और यहीं पर इस दंपति के चार माह के बच्चे की मौत हो गई थी।शहजादी और उसके पिता का कहना था कि बच्चे की मौत गलत इलाज की वजह से हुई है जबकि इस दंपति ने सीधे तौर पर बच्चे की मौत को कत्ल बताते हुए इल्जाम उसकी देखरेख करने वाली शहजादी पर ही मढ़ दिया था । जिस पर उसके खिलाफ मुकदमा चला और अबू धाबी की कोर्ट में उसे मौत की सज़ा सुनाई गई थी।
शहजादी का पिता बोले- बेटी के लिए हर जगह की फरियाद की
पीड़िता शहजादी के पिता ने बताया बेटी का दुबई से ही फोन कॉल आया जिस पर उसने बताया कि उसे अलग कमरे में रख दिया गया है और जेल का कैप्टन आया था जिसने उसे जानकारी दी कि अगले 24 घंटे में उसे फांसी दे दी जाएगी। जेल प्रशासन ने उसकी आखिरी इच्छा के बारे में पूछा था जिस पर शहजादी ने अपने परजनों से बात करने की ख्वाहिश जाहिर की थी। इसी के तहत उसकी यह बात करायी गयी है। आखिरी बार बेटी के इस फोन कॉल आने के बाद से पीड़िता के घर और गांव में कोहराम मचा है। पीड़िता के मां-बाप रो-रो कर अभी भी अपनी बच्ची को बेगुनाह बता रहे हैं। पीड़िता के पिता का कहना है कि शासन प्रशासन और राष्ट्रपति तक से उन्होंने फरियाद की लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी।
जानिए सऊदी में अब तक कितने विदेशी को हुई है मौत की सजा
फांसी देने के मामले में सऊदी तीसरे नंबर पर एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार फांसी देने के मामले में चीन और ईरान के बाद सऊदी अरब तीसरे नंबर पर है। फांसी पाने वाले विदेशी नागरिकों में पाकिस्तान, यमन, सीरिया, नाइजीरिया, मिस्र, जॉर्डन और इथियोपिया के नागरिक शामिल हैं। पाकिस्तान से 21, यमन से 20, सीरिया से 14, नाइजीरिया से 10, मिस्र से नौ, जॉर्डन से आठ और इथियोपिया से सात शामिल हैं। सूडान, भारत और अफगानिस्तान से तीन-तीन और श्रीलंका, इरिट्रिया और फिलीपींस से एक-एक व्यक्ति को फांसी दी गई।
विदेशी प्रतिवादियों की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती
राजनयिकों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि विदेशी प्रतिवादियों की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती। सजा पाने वाले विदेशी नागरिक बड़े ड्रग डीलरों के शिकार बन जाते हैं। गिरफ्तारी के समय से लेकर फांसी तक आरोपियों को अपनी बात कोर्ट के सामने रखने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता। जिससे उन्हें सजा हो जाती है।