उप्र विधानमंडल की विकसित परम्पराओं पर रहती है अन्य राज्य विधानमंडलों की निगाह : दीक्षित
punjabkesari.in Thursday, Mar 04, 2021 - 06:59 PM (IST)
लखनऊ, चार मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य विधानमण्डल द्वारा विकसित परम्पराओं पर अन्य राज्यों के विधानमंडलों की भी निगाह रहती है।
दीक्षित ने बजट सत्र की समाप्ति पर सदन के सदस्यों को धन्यवाद देते हुए कहा कि सभी दलीय नेताओं और सदस्यों ने सारगर्भित चर्चा में भाग लिया। इस सत्र की सबसे बड़ी यह विशेषता रही है कि इस बार सदन की कार्यवाही बड़ी ही शांतिपूर्ण ढंग से और सुचारू रूप से चली और व्यवधान न के बराबर रहा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे यहां जनतंत्र लम्बे समय से चल रहा है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते यहां की जो परंपराएं हम विकसित करते है, उस पर अन्य विधान मण्डलों की निगाह रहती है।’’ विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस बजट में कुल 18 विधेयक पारित किए गये जिनमें पक्ष विपक्ष की तरफ से महत्वपूर्ण चर्चाएं हुई। उन्होंने विपक्ष द्वारा अपनी मांग उठाकर तर्क प्रस्तुत किये।
उन्होंने कहा, ‘‘कानून व्यवस्था के प्रश्न पर भी विधानसभा में कई बार महत्वपूर्ण वाद-विवाद हुआ। बेशक, विपक्ष के अपने आंकड़े और तथ्य रहे हैं और सरकार के अपने, लेकिन वाद-विवाद में सभा की रूचि और गम्भीरता आकर्षण का विषय बनी रही।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
दीक्षित ने बजट सत्र की समाप्ति पर सदन के सदस्यों को धन्यवाद देते हुए कहा कि सभी दलीय नेताओं और सदस्यों ने सारगर्भित चर्चा में भाग लिया। इस सत्र की सबसे बड़ी यह विशेषता रही है कि इस बार सदन की कार्यवाही बड़ी ही शांतिपूर्ण ढंग से और सुचारू रूप से चली और व्यवधान न के बराबर रहा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे यहां जनतंत्र लम्बे समय से चल रहा है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते यहां की जो परंपराएं हम विकसित करते है, उस पर अन्य विधान मण्डलों की निगाह रहती है।’’ विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस बजट में कुल 18 विधेयक पारित किए गये जिनमें पक्ष विपक्ष की तरफ से महत्वपूर्ण चर्चाएं हुई। उन्होंने विपक्ष द्वारा अपनी मांग उठाकर तर्क प्रस्तुत किये।
उन्होंने कहा, ‘‘कानून व्यवस्था के प्रश्न पर भी विधानसभा में कई बार महत्वपूर्ण वाद-विवाद हुआ। बेशक, विपक्ष के अपने आंकड़े और तथ्य रहे हैं और सरकार के अपने, लेकिन वाद-विवाद में सभा की रूचि और गम्भीरता आकर्षण का विषय बनी रही।’’
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