धार्मिक स्थलों पर बिकेंगे कैदियों के बनाए रामनामी गमछे-पटके
punjabkesari.in Monday, Dec 19, 2022 - 07:20 PM (IST)

लखनऊः बाहुबली राजन तिवारी, रमाकांत यादव, विनोद उपाध्याय. जैसे तमाम दबंगों को सलाखों के पीछे रखने वाले फतेहगढ़ केंद्रीय कारागार में कुछ नया होने जा रहा है। दरअसल, जेलों में कैदियों द्वारा लकड़ी-लोहे के फर्नीचर और बिल्कुट-आचार जैसे उत्पाद बनाने व बेचे जाने की खबर तो जानी-सुनी है, लेकिन पहली बार आस्था से जुड़े एक अलग तरह का उत्पाद बनाने की दिशा में भी कैदियों ने कदम बढ़ा दिया है।
फतेहगढ़ केंद्रीय कारागार के महिला-पुरुष कैदी प्रशिक्षण के जरिये रामनामी गमछे-पटके तैयार कर रहे हैं। इसे प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों पर बिक्री के लिए सप्लाई किया जाएगा। इससे होने वाली कमाई में उन्हें हिस्सेदारी दी जाएगी। पारिश्रमिक अलग से मिलेगी। डीजी जेल आनंद कुमार के मुताबिक आपराधिक अतीत से बाहर निकलकर फतेहगढ़ जेल के महिला और पुरुष कैदी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर बनने का गुर सीख रहे हैं। उन्होंने बताया कि ओडीओपी योजना के तहत फतेहगढ़ जेल में महिला और पुरुष कैदियों को ब्लॉक प्रिंटिंग का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। इसके तहत वह रामनामी, राधे-राधे, ओम नमः शिवाय की छाप वाले पटके, दुपट्टे और गमछे तैयार कर रहे हैं। इसे अयोध्या, मथुरा, वाराणसी और चित्रकूट समेत प्रदेश के अन्य धार्मिक स्थलों पर बिक्री के लिए भेजा जाएगा।
कैदियों को प्रमाण पत्र के साथ रोजगार भी मिलेगा
डीजी जेल ने बताया कि फतेहगढ़ की 12 महिला कैदियों को आईटीआई की ओर से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहां गौतम बुद्ध डवलपमेंट सोसायटी संस्थान की ओर से 35 पुरुष कैदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में फतेहगढ़ में 39 महिला कैदी हैं, जिसमें से 12 महिला कैदी ही प्रशिक्षण प्राप्त करने के लायक हैं। इसी तरह 1050 पुरुष कैदी हैं जिनमें से पहले चरण में 35 कैदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पहले चरण के कैदियों का प्रशिक्षण पूरा होते ही चरणबद्ध तरीके से अन्य कैदियों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। कैदियों द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्हे प्रमाण पत्र और रोजगार दिया जाएगा।