कोरोना संक्रमित रह चुके लोगों में तेजी से बढ़ रहा इस गंभीर बीमारी का खतरा; नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा, 'लॉन्ग कोविड' बड़ा जिम्मेदार....

punjabkesari.in Sunday, Nov 23, 2025 - 06:33 PM (IST)

UP Desk : कोरोना महामारी भले ही खत्म होती दिख रही हो, लेकिन इसके प्रभाव अब भी लोगों के शरीर पर बना हुआ है। कई मरीज कोविड से ठीक होने के महीनों बाद भी थकान, ब्रेन फॉग, सांस फूलना और शरीर दर्द जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस स्थिति को लॉन्ग कोविड कहा जाता है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 

स्टडी में क्या पाया गया?
नई रिसर्च में लॉन्ग कोविड मरीजों के खून में दो तरह के बदलाव देखे गए हैं:

1. माइक्रोक्लॉट्स (Microclots)
यह खून में बनने वाले बेहद छोटे-छोटे प्रोटीन के गुच्छे होते हैं। स्टडी में पाया गया कि लॉन्ग कोविड मरीजों में माइक्रोक्लॉट्स की मात्रा सामान्य लोगों के मुकाबले कई गुना अधिक है। ये क्लॉट्स लंबे समय तक खून में बने रहते हैं और शरीर में सूजन, थकान और दर्द जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं।

2. न्यूट्रोफिल सेल्स में बदलाव (Neutrophil Extracellular Traps – NETs)
न्यूट्रोफिल सफेद रक्त कोशिकाएं हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाती हैं। रिसर्च में पाया गया कि लॉन्ग कोविड मरीजों के न्यूट्रोफिल असामान्य रूप से अपना डीएनए बाहर निकालकर धागेनुमा जाल जैसी संरचना (NETs) बना रहे हैं। NETs का अत्यधिक निर्माण खून में थक्कों और सूजन की समस्या बढ़ा देता है।

लॉन्ग कोविड कैसे बनता है?
वैज्ञानिकों के अनुसार, माइक्रोक्लॉट्स और NETs के बीच होने वाली प्रक्रिया ही लॉन्ग कोविड के लक्षणों की मुख्य वजह है। माइक्रोक्लॉट्स NETs के निर्माण को बढ़ावा देते हैं। NETs, माइक्रोक्लॉट्स को और मजबूत बनाते हैं। इससे शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया, जो थक्कों को तोड़ती है, कमजोर हो जाती है। नतीजतन, खून में थक्के लंबे समय तक बने रहते हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों में थकान, दर्द और सांस फूलना जैसे लक्षण पैदा करते हैं। स्टडी में यह भी पाया गया कि लॉन्ग कोविड मरीजों के माइक्रोक्लॉट्स आकार में बड़े हैं, जिससे खून का प्रवाह बाधित हो सकता है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स ?
एलैन थिएरी, स्टडी के लेखक, कहते हैं, "माइक्रोक्लॉट्स और NETs के बीच चल रही यह प्रक्रिया शरीर में ऐसी प्रतिक्रियाएँ पैदा करती है जो नियंत्रण से बाहर होकर लॉन्ग कोविड की वजह बनती हैं।" रिसर्चर रिसिया प्रिटोरियस बताती हैं, "NETs की अधिकता से माइक्रोक्लॉट्स टूटते नहीं हैं और खून में जमा रहते हैं। इससे खून की नलियों में बाधा और सूजन जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।" यह स्टडी Journal of Medical Virology में प्रकाशित हुई है और इसे लॉन्ग कोविड को समझने में बड़ा कदम माना जा रहा है।

क्या है इसका निष्कर्ष
कोविड से ठीक हो जाना मतलब बीमारी का पूरी तरह खत्म होना नहीं है। लॉन्ग कोविड के पीछे खून में बनने वाले माइक्रोक्लॉट्स और इम्यून सिस्टम में होने वाले बदलाव जिम्मेदार हैं। भविष्य में डॉक्टर इसी आधार पर लॉन्ग कोविड का बेहतर इलाज विकसित कर सकते हैं।


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Content Editor

Purnima Singh

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