ताक पर नियम जोखिम में जान! नियम तोड़ धड़ल्ले से दौड़ रही बसें, जितनी सवारी बस के अंदर उतनी ही छत पर

punjabkesari.in Saturday, Nov 19, 2022 - 03:19 PM (IST)

Baghpat: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से प्रशासन की लापरवाही का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां बड़ौत-छपरौली मार्ग पर जान को हथेली पर रखकर छात्र व यात्री सफर करने को मजबूर हैं। वहीं, इस तरफ न तो रोडवेज विभाग के अधिकारी ध्यान दे रहे है और ना ही पुलिस प्रशासन कोई कार्रवाई कर रहा है। प्रशासन की इस लापरवाही से लोग लगातार हादसों का शिकार हो रहे है। इसी समस्या को लेकर यात्रियों में आक्रोश देखने को मिल रहा है।

जितनी सवारी बस के अंदर उतनी ही छत पर
बता दें कि मामला बागपत जिले के बड़ौत-छपरौली मार्ग का है। जहां पर लोग बस की छतों पर बैठकर व पीछे लटककर मलकपुर, सिनौली, आदर्श नंगला, शबगा, बदरखा, ककौर, कुर्डी, छपरौली, टांडा सहित कई स्थानों के लिए सफर करते हैं। जिसमें ज्यादातर नौजवान व छात्र होते हैं, जिन्हें बसों की छत बैठकर सफर करने में काफी खुशी मिलती है। जिसके चलते वह रोजाना बसों में लटककर और बसों की छत के ऊपर बैठ कर सफर करते हैं। हैरानीजनक बात तो यह है कि ऐसा करने से इन्हें कोई रोकता नहीं है और ना ही रोडवेज विभाग का कोई अधिकारी इस पर नकेल कस रहा है।

नियम तोड़ धड़ल्ले से दौड़ रही बसें
इसी के चलते आए दिन कई यात्री सड़क हादसों का शिकार हो जाते है, लेकिन फिर भी किसी प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं, एक तरफ तो बसों को इससे दुगना इजाफा हो रहा है, इसलिए वह कुछ नहीं बोलते लेकिन पुलिस प्रशासन भी इसके खिलाफ कोई ठोस कदम उठाता हुआ नहीं दिख रहा है। वैसे तो पुलिस प्रशासन द्वारा आए दिन अभियान चलाकर लोगों को ट्रैफिक नियमों को प्रति जागरूक किया जा रहा है, लेकिन दुसरी तरफ सड़कों पर प्रतिदिन ऐसी कई बसें दौड़ रही हैं। जिनमें जितनी सवारियां बस के अंदर होती है उतनी ही बस के ऊपर, लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

हादसों का बना रहता है डर
लोग जानबूझकर बसों की छत पर और बसों में लटक कर सफर करते है। ऐसे में ज्यादा सवारी बैठाने के कारण बसों के पलटने का भी डर बना रहता है। इतना ही नहीं सड़क की किनारों पर लगी बिजली की तारें भी सदैव खतरे का कारण बनी रहती है। साथ ही बस की छत पर बैठकर सफर करने वालों का सड़क पर गिरने का डर भी बना रहता है।


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Content Editor

Harman Kaur

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