आजम खान को हाईकोर्ट से झटका, जौहर यूनिवर्सिटी की रिट अदालत से खारिज

punjabkesari.in Tuesday, Sep 07, 2021 - 12:17 PM (IST)

रामपुर: सीतापुर जेल में बंद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर के सांसद मोहम्मद आजम खान को हाईकोर्ट से एक बार फिर झटका लगा है।  जौहर यूनिवर्सिटी  जिसको बनाने के लिए आजम खान ने लगभग 400 एकड़ से ज्यादा जमीन मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के नाम खरीदी थी।  उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन अधिनियम 1950 के नियमों के मुताबिक कोई भी व्यक्ति, परिवार या संस्था 12.5 एकड़ से अधिक भूमि बिना शासन की अनुमति के नहीं रख सकता  है। इस बाबत जौहर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से 7 नवंबर 2005 को मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के लिए 400 एकड़ जमीन खरीदने की अनुमति प्राप्त कर ली थी हालांकि  यह अनुमति शासन ने कुछ शर्तों के अधीन रहते दी थी। शासन द्वारा दी गई अनुमति की शर्तो में ट्रस्ट द्वारा भूमि का उपयोग शैक्षिक संस्थान की स्थापना व निर्माण हेतु अनुमति दिए जाने के 5 वर्षों के भीतर ही कर लिया जाना था । अनुमति की एक शर्त यह भी थी के संस्था या उसके किसी पदाधिकारी द्वारा भूमि का कोई भी भाग किसी व्यक्ति या संस्था को किसी भी रूप में शासन की पूर्व अनुमति के बिना हस्तांतरण नहीं किया जाएगा तथा प्रेस द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत तक क्रय की गई भूमि और उस पर हुए निर्माण आदि का विस्तृत विवरण जिलाधिकारी रामपुर द्वारा शासन को प्रत्येक अप्रैल मास में प्रस्तुत करना होगा। अनुमति में यह भी स्पष्ट किया गया था शर्तों का उल्लंघन करने पर 12.5 एकड़ से जो भी भूमि अधिक होगी उसे राज्य सरकार में निहित कर लिया जाएगा और फिर उसके बदले कोई कंपनसेशन नहीं दिया जाएगा ।

बता दें कि जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों को लेकर एक के बाद एक की जा रही शिकायतों की जांच कर रहे एसडीएम सदर ने अपनी रिपोर्ट में शासन द्वारा दी गई अनुमति की शर्तों का उल्लंघन होना दर्शाया था।  अदालत में 16 जनवरी 2021 को निर्णय देते हुए एडीएम प्रशासन रामपुर ने जौहर यूनिवर्सिटी की लगभग 400 एकड़ जमीन में से 12.5 एकड़ भूमि छोड़कर शेष भूमि को सरकार में दर्ज किए जाने के आदेश दिए थे।

भाजपा नेता आकाश सक्सेना उर्फ हनी ने ही इस मामले की थी शिकायत
 उन्होंने बताया इस में एक शिकायत की गई थी हमारे द्वारा आजम के द्वारा जो जोहर यूनिवर्सिटी में जितनी जो जमीन है साढ़े 12 एकड़ का जो कानून है उसके खिलाफ खरीदी गई थी और अधिकतर जो जमीनें हैं वो सरकारी जमीन थी। उसमें जो बिल्डिंग है वह सरकारी पैसे से बनी गई थी।  जौहर विश्वविद्यालय को जिन शर्तों पर जो सरकारी जमीन लीज पर दी गई थी उनमें से किसी शर्त का पालन नहीं हो रहा था । शिकायत हुई शिकायत यहां डीएम रामपुर के वाद चला वाद चलने के बाद यहां पर लगभग 6 महीने बाद उनके कोर्ट से फैसला आया था जिसमें साढ़े 12 एकड़ से ऊपर की जमीनों को सरकार द्वारा निहित किया था। उस फैसले के अगेंस्ट जौहर विश्वविद्यालय हाई कोर्ट गया और आज हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने वहां एडीएम के ऑर्डर को सही बताया ।उन्होंने कहा, साढ़े 12 एकड़ से ज्यादा जो जमीन है जो सरकार से निहित की गई थी वह आदेश सही है।  मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और जो न्यायपालिका ने किया है वह एक सच्चाई की जीत हुई है।


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Content Writer

Ramkesh

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