चंबल मे डाकू जगजीवन की खूनी होली, जिसका दर्द आज भी भूल नही पाए है लोग

punjabkesari.in Monday, Mar 18, 2019 - 01:58 PM (IST)

इटावाः चंबलघाटी से जुड़े उत्तर प्रदेश में इटावा में 13 साल पहले कुख्यात दस्यु सरगना जगजीवन परिहार ने मुखबिरी के शक में होली के दिन अपने गांव चौरैला में ऐसी खूनी खेली थी जिसका दर्द आज भी गांव वाले भूल नही सके है।

होली की रात 16 मार्च 2006 को जगजीवन गिरोह के डकैतों ने आंतक मचाते हुये चौरैला गांव में अपनी ही जाति के जनवेद सिंह को जिंदा होली में जला दिया और उसे जलाने के बाद ललुपुरा गांव में चढाई कर दी थी। वहां करन सिंह को बातचीत के नाम पर गांव में बने तालाब के पास बुलाया और मौत के घाट उतार दिया था। इतने में भी डाकुओं को सुकुन नहीं मिला तो पुरा रामप्रसाद में सो रहे दलित महेश को गोली मार कर मौत की नींद मे सुला दिया था। इन सभी को मुखबिरी के शक में डाकुओं ने मौत के घाट उतार दिया था।

इस लोमहर्षक घटना की गूंज पूरे देश मे सुनाई दी। इससे पहले चंबल इलाके में होली पर कभी भी ऐसा खूनी खेल नहीं खेली गयी थी। इस कांड की वजह से सरकारी स्कूलों में पुलिस और पीएसी के जवानों को कैंप कराना पड़ा था। क्षेत्र के सरकारी स्कूल अब डाकुओं के आंतक से पूरी तरह से मुक्ति पा चुके है।


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Tamanna Bhardwaj

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