नाबालिग दलित रेप पीड़िता का पुलिस ने नहीं की सही से विवेचना, लापरवाह CO के खिलाफ रिपोर्ट के आदेश

punjabkesari.in Wednesday, Nov 23, 2022 - 06:56 PM (IST)

चित्रकूटः अनुसूचित जाति की नाबालिग लड़की से दुराचार के मामले में सही विवेचना नहीं किए जाने पर चित्रकूट के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम न्यायालय ने कड़ी नाराजगी जताई है। विशेष न्यायाधीश दीप नारायण तिवारी ने मंगलवार को मामले की दोबारा विवेचना किए जाने का आदेश देते हुए दो पुलिस क्षेत्राधिकारियों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत करने के आदेश दिया।

न्यायालय ने आदेश में कहा है कि अनुसूचित जाति की नाबालिग बालिका के साथ दुराचार के मामले में पुलिस द्वारा दाखिल पत्रावली में तथ्यों के अवलोकन से विवेचना में घोर अनियमितता और विवेचना करने वाले अधिकारी का पक्षपातपूर्ण एवं निन्दनीय आचरण दर्शित हो रहा है। धारा 156 (3) के तहत न्यायालय द्वारा इस मामले में चार दिसंबर 2017 को रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश देने के 26 दिन बाद कर्वी कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। विवेचक ने महिला सिपाही के जरिए पीड़िता का बयान दर्ज कराया था, जिसमें पीड़िता ने स्पष्ट कहा था कि रामलीला देखकर लौटने के बाद अहिरनपुरवा कवीं निवासी सुधीर कुमार पुत्र छोटेलाल और शंकर पुत्र दुजवा उसका मुंह दबाकर जबरन बाइक से ले गए। इसके बाद तमंचा दिखाकर सुधीर ने उसके साथ गलत काम किया और उसे गल्ला मंडी में छोड़कर दोनों भाग गए थे। पीड़िता के इस बयान के बाद भी विवेचक ने पीड़िता की धारा 164 का कथन अंकित नहीं कराया।

पुलिस ने पीड़िता के भाग जाने का दिया हवाला
पुलिस ने पीड़िता के भाग जाने का हवाला देकर लगभग डेढ़-दो साल बाद पीड़िता की मां के बयान के आधार पर न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। विशेष न्यायाधीश ने इस मामले में कर्वी कोतवाली को पुलिस द्वारा दाखिल अंतिम आख्या को समाप्त कर पुनः विवेचना के आदेश दिए। इसके साथ ही मामले की विवेचना करने वाले कवीं के दो तत्कालीन क्षेत्राधिकारियों सदर विजेट द्विवेदी एवं रजनीश कुमार यादव के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत किए जाने के आदेश दिए हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ajay kumar

Recommended News

Related News

static