UP Weather: लखनऊ समेत कई जनपदों में ओलावृष्टि और तेज बारिश की आशंका, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

punjabkesari.in Sunday, Mar 03, 2024 - 02:50 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर भारत में लगातार खराब हो रहे मौसम के बीच राजधानी लखनऊ के मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है। विभाग के मुताबिक 3 घंटों में लखनऊ सहित कई जनपदों में ओलावृष्टि (हवा की गति 40- 60 किमी प्रति घंटे) होने की संभावना है, असुरक्षित भवनों व पेड़ों के संपर्क में आने से बचे। जनपदवासियों को अपने घरो मे रहने की सलाह दी जाती है। सतर्क रहें, सुरक्षित रहे।

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मौसम की मार झेल रहे किसान
आप को बता दें कि पिछले दो दिनों से प्रदेश के कई जिलों में बारिश हो रही है जिससे लोगों का जनजीव अस्थव्यस्थ हो गया है। किसानों की फसलों को नुकसान हो ई है।किसान नेता गौरीशंकर बिदुआ ने रविवार बताया कि बुंदेलखंड का किसान 2004 से लगातार मौसम की मार झेलते झेलते आज बहुत ही खराब स्थिति में पहुंच गया है। वर्ष 2004 के बाद यदि 2007 और 2011 को छोड़ दें तो यहां का किसान किसी मौसम में दोनों मुख्य फसल चक्र (रबी और खरीफ) की फसल नहीं ले पाया है। अब तो हालात इतने खराब हैं कि फसल जिस भी चक्र के समय पककर खेत में खड़ी होती है उसी समय मौसम बिगड़ने से हालात ऐसे हो जाते हैं कि फसल पूरी तरह से चौपट हो जाती है। फसल के लिए बीज खरीद से लेकर फसल तैयार होने तक किसान पूरी मेहनत करता है लेकिन मौसम की मार के चलते खेत में खड़ी या कटकर पड़ी फसल पूरी तरह से बरबाद हो रही है । ऐसे में बुंदेलखंड का गरीब किसान लगातार गरीबी के कुचक्र में फंसता जा रहा है। खेती के लिए लिया लोन फसल बरबादी के कारण उतार नहीं पाता है इसलिए यहां किसानों की आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रहीं हैं।

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ओलों से  गेंहू, चना , मटर और दलहन की फसलों को भारी नुकसान
उन्होंने कहा कि ऐसा ही शनिवार देर शाम फिर देखने को मिला जब पहले चली तेज आंधी और उसके बाद आयी तेज बारिश और गिरे ओलों के प्रभाव में लगभग पूरे जनपद में गेंहू, चना , मटर और दलहन की फसलें पूरी तरह से बरबाद हो गयीं। खेत में तैयार खड़ी फसल जमीन पर बिछ गयी और कटकर खेत में पड़ी फसल भी पानी में डूबकर बरबाद हो गयी। श्री बिदुआ ने कहा कि यदि मौसम के कारण फसल को बड़े पैमाने पर हो रहे नुकसान को देखा जाऐ तो अब समय आ गया है कि बुंदेलखंड और विशेषकर झांसी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक मौसम के अनुसार इस क्षेत्र के फसल चक्र में बदलाव पर शोध करें।

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वैज्ञानिक अनुसंधान को तत्परता से काम करने की जरूरत
इस शोध की जानकारी बुंदेलखंड के सभी किसानों तक पहुंचायी जाएं ताकि ऐसी फसल अब यहां का किसान उगाना शुरू करे कि जनवरी तक फसल कटकर किसान के पास आ जाए। फरवरी मध्य से लेकर मार्च के डेढ़ माह के दौरान लगातार हम किसानों की फसल को व्यापक नुकसान हो रहा है। इस क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान के तत्परता से काम करने की जरूरत आ गयी है। अभी तक जो फसल चक्र यहां किसान अपना रहा है उसमें अपनी मेहनत का पूरा फल उसे किसी मौसम में भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र के फसल चक्र को बदलने के लिए तेजी से काम होना जरूरी है1

सरकार कब तक मुआवजा किसानों को देगी
उन्होंने कहा कि यदि फसल के बीमा की बात की जाए तो लगभग एक साल के हर मौसम में लगातार फसल बरबाद हो रही है ऐसे में सरकार कहां तक और कब तक मुआवजा किसानों को दे सकती है। इस स्थिति में फसल चक्र में बदलाव के लिए पूरी गंभीरता से काम किया जाना जरूरी है, तभी बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों को खेती से कुछ लाभ हो सकता है,अन्यथा की स्थिति में तो मेहनत कर अंत में फसल बर्बादी पर रोने के अलावा यहां के किसान की किस्मत में अभी कुछ और नहीं बचा है।

गौरतलब है कि दो तीन दिन से लगातार खराब हो रहे मौसम के बीच हो रही बरसात और शनिवार देर शाम से रात तक चली आंधी और हुई भारी बारिश तथा ओलावृष्टि से लगभग पूरे जनपद में फसल बुरी तरह से बर्बाद हुई है। सोशल मीडिया पर भी खेतों में खड़ी फसल के जमीन पर बिछ जाने के वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं। इस बीच अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) वरूण पाण्डेय ने कहा कि खराब मौसम के चलते फसल को हुए नुकसान के आकलन के लिए जनपद भर में लगभग 200 से 250 टीमों को गठित कर काम पर लगा दिया गया है। जनपद में फसल को हुए नुकसान का आकलन 72 घंटे के भीतर करना होता है । इसी के लिए कृषि और राजस्व विभाग के कर्मचारियों को मिलकर इन टीमों का गठन किया गया है। नुकसान को लेकर हर गांव में प्लाट टू प्लाट सर्वे कराया जायेगा। जिन भी गांवों में फसल को 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान पाया गया तो वहां के किसानों को क्षतिपूर्ति के लिए शासमन को रिपोर्ट भेजी जायेगी।

 


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Content Writer

Ramkesh

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