वाह रे यूपी पुलिस ! शराब के सेल्समैन ने नहीं दी रिश्वत तो गांजा तस्करी में भेज दिया था जेल, कोर्ट ने 15 पुलिसकर्मियों पर FIR दर्ज के दिए आदेश
punjabkesari.in Sunday, Oct 06, 2024 - 08:26 PM (IST)
आजमगढ़ (शुभम सिंह): उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां पर आरोप है कि शराब के सेल्समैन से पुलिसकर्मियों ने रिश्वत मांगी लेकिन सेल्समैन ने रिश्वत देने से इनकार कर दिया। उसके बाद गांजा तस्करी के आरोप में उसे जेल भेज दिया था।
थानाध्यक्ष समेत 15 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज के आदेश
पीड़ित ने न्यायालय की शरण ली। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आजमगढ़ सत्यवीर सिंह ने पवई थानाध्यक्ष समेत 15 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना करने का आदेश दिया। साथ ही विवेचना के परिणाम से न्यायालय को अवगत कराने के लिए कहा है। उक्त मामले में वादी पक्ष ने पवई थानाध्यक्ष समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर पति व उनके साथी को स्कार्पियो में गांजा बरामद दिखाते हुए फर्जी मुकदमे में फंसाने का आरोप लगाया था।
गांजा तस्करी का फर्जी केस लगाकर भेजा था जेल
जानकारी मुताबिक अहरौला थाना क्षेत्र की रहने वाली गीता ने कोर्ट में वाद दाखिल किया था। पीड़िता ने अवगत कराया था कि उसके पति इंद्रजीत यादव व संचित यादव फुलवरिया में स्थित बीयर की दुकान पर सेल्समैन हैं। आरोप लगाया कि होली पर पुलिस द्वारा उनके पति से अवैध धन की मांग की थी। इनकार करने पर पवई थानाध्यक्ष संजय कुमार, सुनील कुमार सरोज, उपनिरीक्षक चंद्रजीत यादव, उपेंद्र यादव व सुरेंद्र यादव व 10 अन्य पुलिसकर्मी सात मार्च 2020 उनके घर पहुंच कर उनके स्कार्पियो की चाभी लेकर उनके पति व सेल्समैन संचित यादव को स्कॉर्पियो में बैठा कर स्वयं गाड़ी को चला कर पवई थाने ले गए। इसके बाद पुलिस ने उक्त गाड़ी से भट्टे के निकट नाटी गांव के पास पवई माहुल रोड पर वाहन चेकिंग दिखा कर उसके पति इंद्रजीत व संचित यादव को शराब व गांजा के साथ गिरफ्तारी दिखाते हुए मुकदमा पंजीकृत कर जेल भेज दिया।
न्यायालय के आदेश थाना अध्यक्ष ने नहीं छोड़ा वाहन
पीड़िता ने पति व संचित यादव की जमानत उच्च न्यायालय द्वारा चार जून 2020 को हुई। इसी दरमियान पीड़िता ने ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट आजमगढ़ के न्यायालय में वाहन को छुड़वाने के लिए 29 मई 2020 को आवेदन दिया था। जिस पर थाना पवई से रिपोर्ट मंगा कर न्यायिक मजिस्ट्रेट आजमगढ़ द्वारा 26 जून 2020 को उसके वाहन को उसे सौंपने का आदेश जारी किया गया। आदेश के बाद थी थानाध्यक्ष संजय कुमार वाहन नहीं छोड़ा। जब किसी अधिकारी ने सुनवाई नहीं की तो पीड़िता ने न्यायालय की शरण ली। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अहरौला थानाध्यक्ष को पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश दिया है।