रोटोमैक स्कैमः CBI ने कोठारी सहित पत्नी व बेटे को किया गिरफ्तार

punjabkesari.in Tuesday, Feb 20, 2018 - 07:03 PM (IST)

कानपुरः रोटोमैक पेन कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी के खिलाफ लोन फ्रॉड के मामले में सीबीआई के बाद प्रवर्तन निदेशाल (ईडी) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया है। अब तक बताया जा रहा था कि यह घोटाला 800 करोड़ रुपए का है, लेकिन केस दर्ज होने के बाद चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है कि सरकारी बैंकों को 3,695 करोड़ रुपए की चपत लगी है। आयकर विभाग ने रोटोमैक समूह और उसके प्रमोटरों के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज कर दी है।

इसी कड़ी में विक्रम कोठारी के मामले में एक नई जानकारी सामने आई है। जिसमें विक्रम कोठारी के पत्नी व बेटे को सीबीआई ने सह आरोपी के रूप में गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई ने कोठारी के बेटे को सह आरोपी बनाने के बाद अपने साथ नई दिल्ली ले जा रही है। बता दें कि कोठारी पर 3695 करोड़ रूपए का घोटाला करने का आरोप है। कोठारी रोटोमैक नाम की कम्पनी चलाता है जो घाटे में आ जाने से 7 बैंक सकते में आ गए हैं। कोठारी पर बैंकों ने एनपीए की कार्रवाई की है। जिसमें कोठारी की कम्पनी को डिफाल्टर घोषित किया है।

इस दौरान दूसरी टीम ने माल रोड सिटी सेंटर स्थित रोटोमैक ग्लोबल के मुख्यालय पर धावा बोला। वहीं तीसरी टीम ने शाम को पनकी स्थित रोटोमैक फैक्ट्री पर छापा मारा। रोटोमैक ग्लोबल कम्पनी को सात बैंकों का 3695 करोड़ का ब्याज सहित लोन बकाया है। इस मामले में सीबीआई ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमेटेड के निदेशकों विक्रम कोठारी सहित पत्नी साधना व राहुल एवं बैंक ऑफ बड़ौदा के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है।

विभिन्न बैंकों ने विक्रम कोठारी को 5 हजार करोड़ का लोन दिया था। जिसमें सबसे ज्यादा लोन 14 सौ करोड़ रूपया है, जिसे इण्डियन ओवरसीज बैंक ने दिया है। तो वहीं दूसरे नम्बर पर सबसे अधिक लोन देने के मामले में बैंक आॅफ इण्डिया अव्वल है जिसने 1395 करोड़ रूपए कोठारी की कम्पनी को लोन दिए है। तो वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा ने 600 करोड़, यूनियन बैंक ने 485 करोड़ एवं इलाहाबाद बैंक 352 करोड़ रूपए का भारी भरकम लोन दिया था।

बता दें कि बैंकों ने कर्ज वापस पाने के लिए उन संपत्तियों को बेच रहे हैं, जिन्हें बंधक रखकर लोन दिया गया था। इलाहाबाद बैंक ने सर्वोदय नगर स्थित इंद्रधनुष अपार्टमेंट का फ्लैट, माल रोड स्थित कोठी और बिठूर स्थित फार्म हाउस को नीलाम करने की घोषणा की थी। जिसके बाद तीनों संपत्तियों की कुल कीमत 17 करोड़ रुपए रखी गई थी। बोली 17 करोड़ रूपये से शुरुआत होनी थी लेकिन नोटबंदी की वजह से बोली ज्यादा ऊंची नहीं लग पाई। मोटी राशि दिखाने पर आयकर विभाग के झंझट के डर से संपत्तियों की बोली बड़ी नहीं लगा सकें। ऐसे में मजबूरन बैंक को न्यूनतम रेट पर संपत्तियों को बेचना पड़ा।


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