5 दिन पहले ब्याही पुष्पा ने आग लगाकर खत्म कर ली जिंदगी, धू-धूकर जल उठी ससुराल व मायके की खुशियां

punjabkesari.in Friday, Jun 04, 2021 - 12:55 PM (IST)

बांदाः कहते हैं कि शादी दो जोड़ों के साथ ही दो परिवारों का भी भविष्य तय करती है। धूमधाम के साथ लड़का- लड़की सात वचन व कसमों वादों के साथ एक दूसरे के साथ हो जाते हैं। इसी उम्मीद और खुशियों के साथ उत्तर प्रदेश बांदा के राजेंद्र व पुष्पा की भी 5 दिनों पहले 26 मई को शादी हुई थी मगर नवविवाहिता नेपति को दूसरे कमरे में बंद कर अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा लिया। भड़की आग ने मकान को भी चपेट में ले लिया। किसी तरह सबमर्सिबल पंप चलाकर आग पर काबू पाया गया, लेकिन तब तक सब कुछ स्वाहा हो चुका था। पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया है।

बता दें मामला कमासिन थाना क्षेत्र के किटहाई गांव का है। जहां राजेंद्र की बीती 26 मई को पुष्पा संग शादी हुई थी। मंगलवार की रात को पति और पत्नी पुष्पा (20) कमरे में सो गए। आधी रात को पुष्पा कमरे से बाहर निकली और पति के कमरे के दरवाजे की कुंडी लगा दी। इसके बाद वह दूसरे कमरे में गई और वहां पर केरोसिन डालकर खुद को आग ली। पुष्पा धू-धूकर जल उठी। आग की लपटों ने मकान को भी चपेट में ले लिया। मकान भी धू-धूकर जल उठा। पड़ोसियों ने आग देखी तो मोहल्ले में शोर मचा गया। पुष्पा के ससुरालीजन और ग्रामीणों ने आग बुझाने का भरसक प्रयास किया। सबमर्सिबल के जरिए आग बुझाई गई। लेकिन जब तक आग बुझाई गई, तब तक सब कुछ जलकर स्वाहा हो चुका था। आग बुझाने के बाद परिजनों ने देखा तो पुष्पा जलकर मर चुकी थी। इसके साथ ही शादी का पूरा सामान भी राख के ढेर में बदल गया। राजेंद्र के भतीजे राजाबाबू ने बताया कि पुष्पा की तबीयत खराब थी। इसकी वजह से उसने आग लगाकर आत्महत्या कर ली।

तीन-चार दिन में आनी थी चौथी, मातम का माहौल
पुष्पा रीवां की रहने वाली थी। तीन-चार दिन के अंदर ही उसकी चौथी आनी थी। शादी वाले घर में खुशियों का माहौल था। ससुराल पक्ष के लोग शादी के बाद की कुछ रस्मों को पूरा करने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन अचानक हुई इस घटना से परिवार में मातम का माहौल है।

न खाने को अनाज बचा न कपड़ा
पुष्पा ने खुद को आग के हवाले किया तो भड़की आग ने पूरे मकान को अपनी आगोश में ले लिया। जबरदस्त आग देखकर जो जिस हालत में था, उसी हालत में घर से बाहर निकल भागा। आग लगने के कारण न सिर्फ मकान जलकर राख हो गया बल्कि अनाज के साथ ही कपड़े भी जल गए हैं। आलम यह है कि बदन में जितने कपड़े ससुरालीजनों के पास हैं, उतने ही कपड़े शेष बचे हैं, बाकी सब कुछ जलकर राख के ढेर में बदल गया।

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Moulshree Tripathi

Recommended News

Related News

static