कैराना लोकसभा सीट पर हार के बाद सीएम योगी पर बढ़े अपनों के हमले

punjabkesari.in Tuesday, Jun 05, 2018 - 03:51 PM (IST)

नई दिल्ली/लखनऊ: कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद पार्टी के अंदर से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व पर लगातार सवाल उठने लगे हैं। योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर तथा हरदोई जिले के अंतर्गत आते गोपामाऊ विधानसभा हलके से विधायक श्याम प्रकाश ने कैराना, नूरपुर उपचुनाव में मिली हार के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया है। यही नहीं राजभर ने योगी को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर भी सवाल खड़ा किया है। बहराइच में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दलितों और पिछड़ों ने केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर वोट दिया लेकिन मुख्यमंत्री योगी को बना दिया गया।
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भाजपा विधायक श्याम प्रकाश ने कैराना, नूरपुर सीट पर पार्टी की हार के लिए योगी सरकार में बढ़े हुए भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया। वहीं विधायक ने फेसबुक पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ पर पोस्ट कविता में व्यंग्य कसते हुए उन्हें असहाय मुख्यमंत्री कहा है। उन्होंने कहा कि योगी के शासन में जनता के प्रतिनिधियों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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हार की जिम्मेदारी राजा की: राजभर
राजभर ने कहा कि हार की जिम्मेदारी हमेशा राजा की होती है। 2017 का विधानसभा चुनाव केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में लड़ा गया था। उस दौरान सैनी, कुशवाहा, मौर्य समेत तमाम पिछड़ी जातियों ने केशव प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भाजपा को वोट दिया लेकिन मुख्यमंत्री योगी बन गए, इससे भी लोगों में नाराजगी है। हालांकि उन्होंने कहा कि मौर्य को मुख्यमंत्री बनाना या नहीं बनाना पार्टी का निजी मामला है। राजभर ने कहा कि कैराना उपचुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी परोक्ष तौर पर चुनाव प्रचार किया, फिर भी भाजपा नहीं जीत सकी। उन्होंने कहा कि भाजपा को मंथन करना चाहिए कि चुनाव में उसकी लगातार पराजयों के क्या कारण हैं।
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भ्रष्टाचार को रोकने में हम असफल रहे: सुरेन्द्र सिंह
इनके अतिरिक्त बलिया विधानसभा हलके से विधायक सुरेन्द्र सिंह ने भी योगी सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में निचले स्तर से ऊपर तक अधिकारी भ्रष्ट हैं। इस कारण लोग पार्टी से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार भ्रष्टाचार को रोक पाने में असफल साबित हुई है।  उन्होंने कहा कि पिछली बार की तरह इस बार भी पार्टी जाट और दलित वोटरों को लुभाने में असफल साबित हुई है। इसी तरह पार्टी को प्रदेश में सरकार होने के बावजूद गोरखपुर, फूलपुर सीट पर भी चुनावी हार का सामना करना पड़ा है।


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