VIDEO: दो सीटों पर चुनाव लड़ेंगे अखिलेश यादव!, भाई धर्मेंद्र यादव समेत कार्यताओं को दी बड़ी जिम्मेदारी
punjabkesari.in Tuesday, Mar 05, 2024 - 03:58 PM (IST)
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव किस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, इस सवाल पर सस्पेंस बना हुआ था, जोकि अब खत्म होते दिखाई दे रहा है...सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव का कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना लगभग तय हो गया है...इसको लेकर कन्नौज के पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अलर्ट कर दिया गया है...सूत्र के अनुसार ये भी खबर सामने आ रही है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आगामी लोकसभा चुनाव दो सीटों से लड़ सकते हैं... उनके लिए कन्नौज और आजमगढ़ दोनों में तैयारियां चल रही हैं... इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों से अखिलेश यादव पहले भी सांसद रह चुके हैं।
बता दें कि, सपा ने पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को कन्नौज और आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया है…ये दोनों ही सीटें मुस्लिम और यादव मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी होने के कारण सपा का गढ़ मानी जाती हैं... कन्नौज से अखिलेश यादव लगातार 2000, 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव जीते थे। उसके बाद 2014 में उनकी पत्नी डिंपल यादव यहां से जीतीं। जीत का यह सिलसिला वर्ष 2019 में थमा, जब डिंपल यादव भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक से हार गईं।
अखिलेश को 2000, 2004 और 2009 जीत मिली
2014 में डिंपल यादव को कन्नौज से जीत मिली
2019 में बीजेपी प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को हरा दिया
अगर बात करें आजमगढ़ लोकसभा की तो यहां भी कुछ ऐसा ही समीकरण देखने को मिलता है...जहां साल 2014 का चुनाव मुलायम सिंह यादव जीते और 2019 में अखिलेश यादव वहां से सांसद चुने गए.. लेकिन, अखिलेश यादव के विधानसभा सदस्य चुने जाने के बाद जब इस लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ तो सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव यहां से हार गए...दिलचस्प मुकाबले में आजमगढ़ से भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ जीते।
2014 में आजमगढ़ से मुलायम सिंह की जीत हुई थी
2019 में आजमगढ़ से अखिलेश यादव सांसद चुने गए
2022 के उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को हार मिली
उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को बीजेपी प्रत्याशी निरहुआ ने हराया
खैर, अब इन दोनों सीटों पर सपा जीत हासिल करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है...यही वजह है कि आजमगढ़ के प्रभावशाली नेताओं को विधान परिषद में भेजने की तैयारी है.. पूर्व विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को भी बसपा से तोड़कर सपा में लाया जा चुका है...सपा ने अपने रणनीतिकारों को क्षेत्र में बने रहने के लिए कहा है, ताकि पार्टी के भीतर कहीं कोई असंतोष होने पर उसे थामा जा सके।
सपा सूत्रों का कहना है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद इन दोनों सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं… अखिलेश यादव के उतरने से स्थानीय स्तर पर पार्टी के भीतर मतभेदों की गुंजाइश नहीं बचेगी, इसके मद्देनजर भी यह फैसला किया गया है।